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स्कूल के 50 मीटर के दायरे में जंक फूड पर प्रतिबंध की तैयारी

स्कूल और उसके पचास मीटर के दायरे में नहीं बिकेंगे जंक फूड. स्कूलों के आसपास जंक फूड के प्रचार-प्रसार पर भी पाबंदी होगी. सरकार ने इसके लिए नियम तैयार कर लिए हैं और जल्द ही ये लागू हो जाएगा. खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने 3 दिसंबर तक इसको जनता के सुझाव के लिए रखा है. कोई व्यक्ति एफएसएसएआई की वेबसाइट पर जाकर अपना सुझाव दे सकता है. 3 दिसंबर के तीन महीने बाद सभी स्कूलों में ये लागू हो जाएगा.

सेहतमंद खाना आपके बच्चे के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है. लेकिन क्या आपका बच्चा सेहतमंद खाना रहा है? यूनीसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 10 से 19 साल तक उम्र के 50 फ़ीसदी बच्चे या तो कुपोषण के शिकार हैं या फिर पतले, मोटे या फिर ओवरवेट है. आकड़े बताते हैं कि देश में हर दूसरा बच्चा में से एक बीमार है. यही वजह है कि बच्चों को सेहतमंद खाना मिले इसके लिए खाद्य नियामक एफएसएसएआई ने स्कूलों मे जंक फूड पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. इसके लिए एफएसएसएआई ने ‘खाद्य सुरक्षा और मानक (स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित भोजन और स्वस्थ आहार) विनियम, 2019' बनाया है. जिसके तहत स्कूल परिसर के पचास मीटर के दायरे में जंक फूड की बिक्री पर प्रतिबंध के अलावा प्रचार प्रसार पर भी रोक होगी.

खाद्य सुरक्षा और मानक (स्कूली बच्चों के लिए सुरक्षित भोजन और स्वस्थ आहार) विनियम, 2019'

स्कूल के अंदर जंक फूड पर प्रतिबंध

मां बच्चे को टिफिन में जंक फूड नहीं दे सकती

पचास मीटर के दायरे में जंक फूड, कोल्ड ड्रिंक की बिक्री और विज्ञापन पर प्रतिबंध

स्कूल के स्पोर्ट्स इवेंट और दूसरे कार्यक्रमों में कंपनियों की ओर से जंक फूड के विज्ञापन और इनके फ्री सैंपल बांटने पर भी रोक होगी.

इवेंट के लिए स्कूल फूड बिजनेस ऑपरेटरों से स्पॉन्सरशिप नहीं ले सकेगा.

स्कूल की कैंटीन या फिर जो खाना बनाते हैं उन्हें एफएसएसएआई में रिजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.

साफ-सुथरे खाना बनाने के नियमों को करना होगा पालन

जिस खाद्य पदार्थ में चीनी, नमक और फैट की मात्रा ज्यादा होगी उस पर प्रतिबंध होगा.

स्कूल अपने स्कूल को ईट राइट स्कूल बनाएंगे, स्वस्थ खाना के साथ-साथ स्थानीय खाना और मौसमी खाना को बढ़ावा देंगे

स्कूल खाने के बर्बादी को बचाने के लिए बच्चों को करेंगे जागरूक

कंपनियां अपने प्रोडक्ट में सेहतमंद खाना बनाने की कोशिश करेंगे

आजकल दस में से छह बीमारियां खानपान की वजह से हो रही हैं. बच्चे टाइप-2 डायबिटीज, मोटापा, कुपोषण, एनीमिया के शिकार हो रहे हैं. बच्चों का पतला होना, लंबाई न बढ़ना जैसी तमाम ऐसी समस्याएं हैं, जो एक चुनौती के रूप मे उभर रही है. यही वजह है कि स्वस्थ खाना को बढ़ावा देने की पहल की गई है. इस ड्राफ्ट रेगुलेशन को 3 दिसंबर तक जनता के सुझाव के लिए रखा गया है. उसके अगले तीन महीने बाद ये स्कूलों में लागू हो जाएगा.




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