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एम्स में सर्जरी से हो रहा है मिर्गी का इलाज, ऐसा करनेवाला देश का पहला सरकारी अस्पताल है एम्स

एम्स के डॉक्टर सर्जरी के जरिए एपिलेप्सी यानि मिर्गी का इलाज कर रहे हैं। ऐसा करने वाला एम्स देश का पहला सरकारी अस्पताल है। अगर मिर्गी के किसी मरीज को दिन में बीस बार दौरा पड़ रहा है और दवाओं का कोई असर नही हो रहा हो तो ऐसे मरीजो को सर्जरी की जरुरत पड़ती है।

अगर एपीलेप्सी यानि मिर्गी के मरीज को  दवा खाने के बाद भी  बार बार दौरा पड़ रहा है तो ऐसे मरीजों को परेशान होने की जरुरत नहीं है। ऐसे मरीजो का इलाज सर्जरी के जरिए मुमकिन है। एम्स में एडवांस तकनीक के जरिए उन  मिर्गी के मरीजों का  सर्जरी के जरिए इलाज किया जा रहा है जिनको दिन में बीस बार से अधिक दौरे पड़ रहे है। एम्स इस तकनीक का प्रयोग करने वाला पहला सरकारी संस्थान है। एम्स के न्यूरोसर्जन डॉ पी शरत चन्द्र इस सर्जरी के जरिए पिछले तीन  साल में  चालीस से ज्यादा मिर्गी के मरीजों का इलाज कर चुके है और  अब वो दूसरे डॉक्टरों को भी प्रशिक्षित कर रहे है।

आमतौर पर मिर्गी के 70 से 80 फीसद मरीज  दवाईयों से ही ठीक हो जाते है। लेकिन 20 से 25 फीसद मरीजों में दवा का प्रभाव नहीं हो पाता। इन्हें ड्रग रेजिस्टेंटट कहते है। ऐसे मरीजों को सर्जरी की जरुरत पड़ती है। मिर्गी को लेकर अभी भी समाज में गलत धारणाएं है जिनको दूर करने की जरुरत है।

देश में करीब 1 करोड़ लोग मिर्गी के बीमारी के शिकार है। इनमें से करीब 80 फीसद तो दवाओं से ठीक हो जाते है लेकिन 20 लाख मरीजों को सर्जरी की जरुरत पड़ती है। डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर मिर्गी के दौरे अपने आप ठीक हो जाते है लेकिन पांच मिनट से ज्यादा मिर्गी के दौरे पड़ रहे हो तो ऐसे में मरीज को तुरंत नजदीकी अस्पताल में दिखाना चाहिए।




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