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गांव में किराना दुकानों ने धान के बदले समान देना किया बन्द, धान जप्ती का भय

आज से प्रदेश में धान ख़रीदी की शुरुआत हो चुकी है, इसके साथ ही धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए राज्य स्तर पर कार्यवाही जारी है. छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार किसानों के धान को 2500 रुपये में खरीदने का वादा कर चुकी है, जबकि केन्द्र का समर्थन मूल्य 1815 रुपये रखा गया है.        

ऐसे में अब सरकार जितना धान कम खरेदेगी उतना ही राजकोष पर उतना ही कम दबाव पड़ेगा. इसलिए प्रशासन अवैध परिवहन और कोचियों से ओडीसा से आने वाले धान को रोकने हेतु पूरी ताकत झोंक दिया है.

किराना दुकान, धान व्यापारियों के गोदामों और राईस मिलो में पखवाड़े भर से छापे मार कार्यवाही चल रही है. निगरानी दलों द्वारा अब तक 116 प्रकरण बनाए गए है जिसमे 11972 क्विंटल धान की जप्ती किया गया है.

अब इस कार्यवाही का साइड इफेक्ट गांव में किराना दुकानों ने भी देखने को मिलने लगा है. गाँव के दुकानों में अब धान के बदले समान देना किया बन्द कर दिया है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार धान है, आज भी गांव में धान को किराने दुकान में बेचकर सामान लेने का प्रचलन चल रहा है. ग्रामीण आज भी धान के बदले रोजमर्रा के वस्तु ख़रीद कर अपने घर  लाते है.  

निगरानी दल जिस तरह से किराना दुकानों में छापे मार कार्यवाही कर रहे हैं, उसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों मे किराना दुकानो में धान नही लेने की खबरे मिल रही है. ऐसे में गरीब किसानों को रोजमर्रा के समानो के लिए अब धान बेचकर समान लाना मुश्किल हो रहा है. खुले बाजार में धान की खरीदी बिक्री बन्द होने के कारण बिक्री बट्टा कम हो गया है. प्रदेश सरकार के समय पर धान नहीं खरीदने के कारण ग्रामीण अब आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे है.




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