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जेएनयू में विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने किया कक्षाओं का बहिष्कार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने सोमवार को फीस वृद्धि के मुद्दे पर प्रशासन के साथ टकराव के बीच कक्षाओं का बहिष्कार किया।

कक्षाएं सोमवार को शुरू होने वाली थीं लेकिन सामूहिक बहिष्कार के कारण शुरू नहीं हो पायीं।

विश्वविद्यालय के पीएचडी के छात्र प्रशांत कुमार ने कहा कि स्नातकोत्तर और स्नातक के विद्यार्थियों ने कक्षाओं का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है।

कुमार ने कहा, ‘‘ कुलपति ने विभिन्न केंद्रों को समय सारिणी तैयार करने के लिए लिखा है लेकिन इस संबंध में बात आगे नहीं बढ़ी। कक्षा आज शुरू नहीं हुईं लेकिन एक दो दिन में शुरू हो सकती हैं।’’

सामाजिक विज्ञान विद्यालय के एक विद्यार्थी ने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘ हम पहले मुद्दों का समाधान चाहते हैं, तब ही हम पढाई पर ध्यान लगा सकते हैं। बस नयी शरूआत के लिए हम अतीत को नहीं भूल सकते।’’

जेएनयू परिसर में पांच जनवरी को नकाबपोश भीड़ ने विद्यार्थियों एवं शिक्षकों पर हमला किया था।

छात्र संघ ने पहले कहा था कि वह हॉस्टल की बढ़ी हुई फीस का नहीं बल्कि बस ट्यूशन फीस का ही भुगतान करके पंजीकरण सुनिश्चित करेगा लेकिन जब उसने देखा कि प्रशासन ने कई विद्यार्थियों के लिए पंजीकरण पोर्टल बंद कर दिया है तो उन्होंने अपना फैसला स्थगित कर दिया।

शिक्षक संघ ने भी फीस वृद्धि और पांच जनवरी की हिंसा समेत कई मुद्दों पर अकादमिक विषयों में असहयोग का आह्वान किया है। शिक्षक और विद्यार्थी कुलपति एम जगदीश कुमार को बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं।

संस्कृत एवं भारत अध्ययन विद्यालय के प्रोफेसर हरिराम मिश्रा ने कहा कि कुछ विद्यार्थी कक्षाओं में आये लेकिन कई विद्यार्थी अब तक परिसर में नहीं लौटे हैं।

उन्होंने कहा , ‘‘ अगले दो-चार दिनों में उपयुक्त तरीके से कक्षाएं शुरू होनी चाहिए।’’

एक अन्य प्रोफेसर ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘वर्तमान स्थिति के चलते समयसारिणी नहीं बनायी गयी है। शिक्षकों को प्रशासन ने समयसारिणी तैयार करने को कहा था लेकिन शिक्षक संघ ने बहिष्कार का आह्वान किया है।’’

उधर, जेएनयूटीए के अध्यक्ष डी के लोबियाल ने एचआरडी मंत्रालय के अधिकारियों से कहा, ‘‘ हम परिसर में सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं, वहां का माहौल अकादमिक गतिविधियों के लिए अनुकूल नहीं है। हिंसा के बाद जो विद्यार्थी चले गये, वे लौटने से डर रहे हैं, ऐसे में कैसे हम अध्यापन बहाल करें।’’  (भाषा)




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