प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा : सिर्फ परीक्षा के अंक जिंदगी नहीं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को छात्रों के साथ ‘परीक्षा पर
चर्चा’ की और उनसे कहा कि परीक्षा में अच्छे अंक मिलना ही सब कुछ नहीं है।
इसके साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि घरों में एक कमरा तकनीकमुक्त हो और
वहां कोई उपकरण (गैजट) नहीं होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह
छात्रों के साथ वह बिना किसी ‘फिल्टर’ के खुलकर बातचीत करेंगे। उन्होंने
छात्रों को संबोधित करते कहा कि वे उनके साथ खुल कर चर्चा करें। उन्होंने
सोशल मीडिया पर प्रचलित ‘हैशटेग’ का जिक्र करते हुये कहा कि छात्रों और
उनके बीच होने वाली चर्चा ‘हैशटेग विदाउट फिल्टर’ होगी।
इस
कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया। उन्होंने कहा कि नयी प्रौद्योगिकी की
जानकारी होनी चाहिए लेकिन इससे जीवन प्रभावित नहीं होना चाहिए।
इसके साथ उन्होंने समय के सदुपयोग का भी जिक्र किया और एक सवाल के
जवाब में कहा, ‘‘स्मार्ट फोन आपका जितना समय चोरी करता है, उसमें से 10
प्रतिशत कम करके आप अपने मां, बाप, दादा, दादी के साथ बिताएं। तकनीक हमें
खींचकर अपने पास ले जाए, इससे हमें बचना चाहिए। हमारे अंदर ये भावना होनी
चाहिए कि मैं तकनीक को अपनी मर्जी से उपयोग करूंगा।’’
उपकरणों के अधिक इस्तेमाल के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा,
‘‘परिवार में या अन्यत्र स्थानों पर अधिकतर लोग गैजेट में लीन रहते हैं।
मैं खुद को एक निश्चित समय के लिये प्रतिदिन गैजेट से पूरी तरह से अलग रखता
हूं।’’
उन्होंने छात्रों से अपील की कि घर में एक ऐसा कमरा निर्धारित
करें जिसमें तकनीक का प्रवेश वर्जित हो। उसमें सिर्फ अपने परिजनों से
बातचीत करने का ही विकल्प हो। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से आप देखेंगे कि
कितना लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘छात्रों को विफलता से नहीं डरना चाहिये और नाकामी को जीवन का हिस्सा मानना चाहिये।’’
उन्होंने चंद्रयान मिशन की घटना का जिक्र करते हुये कहा कि उनके
कुछ सहयोगियों ने चंद्रयान मिशन की लैंडिंग के मौके पर नहीं जाने की सलाह
दी थी, क्योंकि इस अभियान की सफलता की कोई गारंटी नहीं थी।
मोदी ने कहा कि इसके बावजूद वह इसरो के मुख्यालय गये और वैज्ञानिकों के बीच में रह कर उनका भरपूर उत्साहवर्धन किया।
परीक्षा
में अंकों के महत्व से जुड़े एक सवाल के जवाब में मोदी ने कहा कि परीक्षा
में अच्छे अंक मिलना ही सब कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि छात्रों को इस सोच
से बाहर निकलना चाहिये कि परीक्षा ही सब कुछ है। इस दौरान उन्होंने
छात्रों से पढ़ाई से इतर खेल, कला और संगीत सहित अन्य गतिविधियों में भी
बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की भी अपील की।
मोदी ने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों को वे काम करने देना चाहिये जो वे करना चाहते हों।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से परीक्षा को बोझ नहीं बनाने का सुझाव देते
हुये कहा कि परीक्षा को जिंदगी में बोझ नहीं बनने देना चाहिये। उन्होंने
कहा कि छात्र अगर परीक्षा में अपने काम पर ही खुद को केन्द्रित करें तो
अनावश्यक तनाव से मुक्ति मिल सकेगी और इससे उनकी कठिनायी बहुत कम हो जाती
है।
उन्होंने छात्रों से अपनी पुस्तक ‘एक्जाम वॉरियर’ को अगले दो
तीन दिनों में पढ़ने की गुजारिश की। मोदी ने कहा कि वह इस पुस्तक को इसलिये
पढ़ने के लिये नहीं कह रहे हैं क्योंकि इसे उन्होंने लिखा है। उन्होंने
कहा कि यह पुस्तक इस कार्यक्रम में शामिल होने वाले आप जैसे छात्रों से
चर्चा पर ही आधारित है।
मोदी ने छात्रों से जीवन को कुछ करने के सपनों से जोड़ने की अपील
करते हुये कहा, ‘‘अगर ऐसा करोगे तो इससे आपको कभी भी परीक्षा का दबाव और
तनाव नहीं रहेगा। परीक्षा एक मुकाम है, परीक्षा ही सब कुछ नहीं है। जीवन
में आगे जाने का एक मात्र रास्ता परीक्षा ही नहीं है, बल्कि कई अन्य रास्ते
भी हैं।’’