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कुछ सपने अपने लिए .....

एक छोटा सा शहर मे एक बार एक बालक संध्या के समय खुले आसमान के नीचे खडे होकर आसमान में चह चहाती पंछी और रंग बिरंगी पतंगों को एकटक निहारती हुए अपनी मां से प्रश्न करता है, मां क्या हम भी इन पंछियों की तरह आसमान में उड़ सकते हैं ?  मां मुस्कुराते हुए उस बालक को बोलती है बेटा उस पंछियों को आसमान में उड़ने के लिए उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ता है.

जैसे कि हम जब छोटे होते हैं तो हमें भी चलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और बाद में चलना सीखते हैं, उसी प्रकार उसी प्रकार पंछी भी संघर्ष करते हैं और उड़ना सीखते हैं. और हम भी आसमान में उड़ सकते हैं लेकिन उन पंछियों की तरह नहीं.

बालक तो कैसे मां ? बेटा सबके अपने-अपने कुछ सपने होते हैं जैसे डॉक्टर, इंजीनियर इत्यादि बनने का सपना और अपने जीवन में कुछ ऐसा कर दिखाने का सपना जिससे आप हमेशा संतुष्ट रहो उस काम को करके, बेटा,  अगर तुम्हारा भी कुछ सपना है अगर तुम उसे कड़ी मेहनत और लगन से करोगे तो उन पंछियों की तरह आजाद रहोगे, और अपनी इच्छा से बहुत खुश रहोगे. ऐसे ही तुम जमीन में रहकर भी तुम्हारा नाम आसमान तक फैला रहेगा. इसी तरह हम अपने सपनों को पूरा कर आसमान में उड़ सकते हैं.

यह लेख  cg sandesh को अमित भाई सिन्हा द्वारा भेजी गई है.




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