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पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस के मंच से अपना संबोधन दिया - बताई दुनिया के सामने क्या है 3 बड़ी चुनौतियां

पीएम नरेंद्र मोदी ने दावोस के मंच से अपना संबोधन दिया. इसमें उन्होंने न सिर्फ भारत की उपलब्ध‍ियां गिनाईं, बल्क‍ि उन्होंने दुनिया को भी अपने भाषण से संदेश दिया है.


वैश्विक संस्थाओं में सुधार पर फोकस

उन्होंने अपने भाषण में वैश्विक संस्थाओं में सुधार पर फोकस किया. उन्होंने कहा कि वैश्विक संस्थाओं में सुधार जरूरी है. उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते हैं कि विश्व की खिड़कियां बंद हो. मैं चाहता हूं कि दुनिया के सभी देशों की हवाएं हमारी खिड़कियों से अंदर आयें, लेकिन इस हवा से हमारे कदम उखड़ जायें यह हमें मंजूर नहीं. उन्होंने कहा कि भारत की विविधता इसके सतत विकास का आधार है.

तीसरा खतरा आत्मकेंद्रन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सामने तीसरा खतरा आत्मकेंद्रन को बताया. उन्होंने कहा कि वे देखते हैं कि दुनिया के ज्यादा से ज्यादा देश स्वयं पर केंद्रित होते जा रहे हैं जो ग्लोबलाइजेशन की अवधारणा के विपरीत है. उन्होंने कहा कि यह आतंकवाद से कम बड़ा खतरा नहीं है और इस कारण ग्लोबलाइजेशन का असर कम होता जा रहा है. उन्होंने कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद बने संगठनों व उनकी कार्य पद्धति आज की वास्तविकताओं को इंगित करते हैं. इनके पुराने मानदंड और विकासमान देशों की जरूरतों के बीच बड़ी खाई दिखती है.

दूसरा खतरा अातंकवाद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व के सामने तीन बड़े खतरों में दूसरा खतरा अातंकवाद को बताया. उन्होंने कहा कि गुड टेरेरिज्म व बैड टेरेरिज्म की अवधारणा गलत है. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षित युवाओं का अतिवादी बनना बड़ा खतरा है. उन्होंने अपने भाषण में आतंकवाद के मुद्दे पर परोक्ष रूप से पाकिस्तान को घेरा और 'गुड टेररिस्ट, बेड टेररिस्ट' पर अपनी राय जाहिर की. उन्होंने विश्व समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि 'गुड टेररिस्ट, बेड टेररिस्ट' कुछ नहीं होता बल्कि आतंकवादी 'आतंकवादी' ही होता है. पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद को दुनिया के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने विश्व आर्थिक मंच के संबोधन में आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे अहम चुनौती करार दिया.

जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा

दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ा खतरा है. ग्लेसियर्स पीछे हटते जा रहा है. आर्कटिक की बर्फ पिघलती जा रही है. बहुत से द्वीप डूब रहे हैं, या डूबने वाले हैं. बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बाढ़ का सूखा. बिगड़ता मौसम का प्रभाव दिन-ब-दिन बढ़ रहा है. हर कोई कहता है कि कार्बन उर्त्सजन को कम करना चाहिए. लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त टेक्नोलॉजी उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने में मदद करना चाहते हैं.

हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में मानव को भूमि मां का पुत्र बताया गया था. अगर ऐसा है तो मानव और प्रकृतिक के बीच जंग क्यों चल रही है. सबसे प्रमुख उपनिषद में कहा गया था- संसार में रहते हुए उसका त्याग पूर्वक भोग करो, और किसी दूसरी की संपत्ति का लालच मत करो. ढाई हजार साल पहले अपरिग्रह को अपने सिद्धांतों में अहम स्थान दिया.


डाटा नियंत्रण बना चुनौती

पीएम मोदी ने कहा कि आज डाटा पर नियंत्रण रखना सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसा लगता है कि जो डाटा पर नियंत्रण रखेगा वह वर्चस्व बनाए रखेगा






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