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छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिवों पर कल होगी हाईकोर्ट में अंतिम सुनवाई

बिलासपुर :- प्रदेश में 11 संसदीय सचिवों को लेकर 30 जनवरी को हाई कोर्ट बिलासपुर में अंतिम सुनवाई होनी है। संभावना जताई जा रही है कि कल ही मामले में निर्णय भी आ सकता है। इधर मामले को लेकर राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज हो गई हैं। असम और दिल्ली में संसदीय सचिवों को लेकर आए फैसले के बाद छत्तीसगढ़ में हलचल तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ में संसदीय सचिवों के मामले में राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज हो गई हैं। क्योंकि 11 संसदीय सचिवों को लेकर 30 जनवरी को कोर्ट में अंतिम सुनवाई होनी है। दिल्ली के 21 संसदीय सचिवों की सदस्यता समाप्त होने के बाद छत्तीसगढ़ के 11 संसदीय सचिव के मामले में 30 जनवरी को बिलासपुर हाईकोर्ट में होने वाले अंतिम सुनवाई पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। 

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में भी 11 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है। इनके खिलाफ हाई कोर्ट में सुनवाई अंतिम दौर में चल रही है। 90 विधानसभा सीट वाले छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल भाजपा के पास 49 विधायक हैं। इनमें से 11 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया गया है। यदि दिल्ली वाली स्थिति छत्तीसगढ़ में निर्मित होती है तो यहां सरकार पर संवैधानिक संकट आ जाएगा। अगर दिल्ली का परिणाम छत्तीसगढ़ में दोहराया जाता है तो सरकार के समक्ष संवैधानिक संकट खड़ा हो सकता है। क्योंकि छत्तीसगढ़ में बहुमत के लिए 45 सीटों की जरूरत है और अगर भाजपा के 11 सदस्यों पर आंच आती है तो भाजपा के पास 38 सदस्य ही बच जाएगा। जो सरकार के लिए खतरा साबित हो सकता है। लेकिन विधि विशेषज्ञों का कहना है कि विधान मंडल सदस्य निर्हरता निवारण 

अधिनियम 1967 में संसोधन साल 2006 में राज्य सरकार ने किया है। दरअसल यही वो अधिनियम है जो प्रदेश के 11 संसदीय सचिवों को एक हद तक बचा सकती है।
 कांग्रेस ने की अपनी रणनीति में बदलाव संसदीय सचिव मामले में अंतिम सुनवाई से ठीक पहले कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव कर दिया है। कांग्रेस ने अब सुनवाई के बाद मामले में राज्यपाल से मुलाकात की रणनीति तय की है। जबकि पूर्व में कांग्रेस सुनवाई से पहले ही राज्यपाल से मुलाकात की तैयारी में थी। कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह ने बताया कि वरिष्ठ नेताओं से चर्चा कर इस मामले में निर्णय लिया गया है।

कांग्रेस की बदली रणनीति पर भाजपा ने किया कटाक्ष
 विधान मंडल सदस्य निर्हरता निवारण अधिनियम 1967 में संसोधन साल 2006 में राज्य सरकार ने किया। दरअसल यही वो अधिनियम है जो प्रदेश के 11 संसदीय सचिवों को एक हद तक बचा सकती है। बहरहाल कांग्रेस की बलदी हुई रणनीति पर भाजपा ने कटाक्ष किया है। भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस कुछ भी कर ले, लेकिन सत्ता में भाजपा ही वापस आएगी।




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