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13 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे सरपंचों का हड़ताल हुआ समाप्त !

13 सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल व धरना प्रदर्शन करने वाले सरपंचों हड़ताल व धरना प्रदर्शन समाप्त हो चूका है. जनपद पंचायत पिथौरा और बसना में सरपंचों द्वारा बनाये गए धरना प्रदर्शन स्थल अब सरपंच दिखाई नही दे रहे हैं. पंचायत स्तर पर कामकाज भी शुरू हो चुके हैं. धरना स्थल पर लगे बैनर भी हटा दिए गए हैं. हलाकि हड़ताल समाप्त होने की सुचना या आगामी तैयारी को लेकर समाचार और मिडिया में इस बात की कोई जानकारी नहीं है.

20 हजार रुपये मनोदय और आजीवन पेंशन को लेकर 26 अगस्त से हड़ताल करने वाले सरपंच कब पीछे के रास्ते से हड़ताल समाप्त कर चले गए किसी को कोई जानकारी नहीं. इस हड़ताल से कई सरपंच मांगों को लेकर आश लगाये बैठे रहे. इन सरपंचों के प्रदर्शन में कई जगह विपक्ष का भी समर्थन देखने को मिला लेकिन वह भी किसी काम नहीं आया.

वर्त्तमान में सरपंचों को 2 हजार रुपये मनोदय दिया जाता है, जबकि प्रदेश में विधायक का वेतन 1 लाख 50 हजार से अधिक है. सरपंचों का कहना है कि 2 हजार रुपये में गुजरा करना और परिवार चलाना मुश्किल है इसलिए उनका मनोदय बढ़ाकर 20 हजार रुपये करना चाहिए.

महासमुंद जिले के कई सरपंच ऐसे हैं जो सरपंच बनने के बाद अब कर्ज में डूबते चले जा रहे हैं, कई योजनाओं में कार्य ख़त्म होने के 1 साल बाद तक भुगतान किया जाता है. जिसमे कार्य करने के लिए सरपंचों को 2 से 10 प्रतिशंत तक का कर्ज लेना पड़ रहा है.

एक जमाना ऐसा था जब 5 साल की सरपंची में भ्रष्टाचर करने वाले सरपंच लखपति, करोड़पति बन जाया करते थे. लेकिन जैसे-जैसे डीजिटलाजेशन होता जा रहा है, पारदर्शिता आती जा रही है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगता जा रहा है. आज के ज़माने में कई सरपंचों को घर से भी रूपया लगाना पड़ रहा है.

चुनाव के शुरु होते ही पहले तो प्रत्याशी के द्वारा लाखों रुपये दांव में लगाकर चुनाव लड़ा जाता है, अगर जीत जाता है तो गाँव में विकास कार्य लाने के लिए अधिकारीयों और जनप्रतिनिधियों को खुश करने के लिए कमीशन देना पड़ता है. जिसके चलते सरपंच बनने तक उनकी आर्थिक स्थिति ख़राब हो जाती है. और कहीं ना कहीं सरपंच भी भ्रष्टाचार करने लगता है. आये दिन भ्रष्टाचार की खबरें स्थानीय अख़बारों में छपती है, कई बार इन ख़बरों से बचने के लिए भी इन्हें कथित पत्रकारों के जेब गरम करने पड़ते हैं.

इस बार सरपंच संघ अपनी मांगों को जब हड़ताल और प्रदर्शन करने लगा तो सरपंच संघ के प्रदेश अध्यक्ष आदित्य उपाध्याय सहित कई सरपंचों के भ्रष्टाचार करने के मामले सामने आये. तखतपुर ब्लाक के ग्राम पंचायत मुरु के सरपंच आदित्य उपाध्याय के कार्यकाल में भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितता करने और अपराधिक मामलों में शामिल होने के आरोप लगाते हुए शिकायत की गई. साथ ही सरपंच को पद से हटाने की भी मांग की गई.

शिकायत के बाद सरपंच संघ द्वारा आंदोलन को असफल बनाने के लिए छवि खराब करने का आरोप लगाया और कहा कि आदित्य उपाध्याय पर  झूठी शिकायत की गई है. साथ ही सरपंच संघ ने उच्च स्तरीय जांच करवाने की मांग करते हुए जनप्रतिनिधियों के साथ कलेक्टर कार्यालय के सामने जमकर प्रदर्शन किया.

सरपंच व सरपंच संघ के उपाध्यक्ष आदित्य उपाध्याय ने कहा कि मेरे खिलाफ षड्यंत्रपूर्वक व झूठी शिकायत की गई है. आवेदन में फर्जी हस्ताक्षर किया गया है. और इन्ही शिकायतों के बीच कब सरपंच संघ का हड़ताल समाप्त हो गया किसी को पता नहीं चल पाया.  




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