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बालिकाओं की मानव तस्करी करने वाले रिश्तेदारों को हुयी दस दस साल की सजा

रायगढ़:- मानव तस्करी के मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश फास्ट ट्रेक श्रीमती सरोज नंद दास ने आज दिये गये अपने फैसले में एक महिला सहित तीन लोगों को दस दस साल के सश्रम कारावास से दंडित किया ।मामला इस प्रकार हैं धर्मजयगढ़ का शोभन 10 अगस्त 14 को अपने परिवार के साथ काम करने गया था घर में उसकी मौसी पंचो बाई आई और उसकी मां राधाबाई को अधिक पैसा कमाने का लालच देकर दोनों बालिकाओ 18 साल व 16 साल को बहला फुसलाकर दिल्ली काम दिलाने ले गयी और पत्थलगांव के रवि लोहार के साथ दिल्ली भेज दी. जिसका पता लगने पर उसने अपनी लड़कियों को वापस बुलाने के लिये बोला लेकिन पांचो बाई लड़कियों को वापस नहीं लाई तो उसने धर्मजयगढ़ थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी. 

इधर दिल्ली ले जाने बालिकाओ को गणेशपुर ले जाया गया वहां से सिसरिगां लाया गया जहां चैतराम मिला जो उन्हें रायगढ़ लाया और वहां से दिल्ली ले गया जहां आफिस में वे गौरव से मिले वहां महेश और उसकी पत्नी उन्हें काम लगवाने दिल्ली के पंजाबी बाग ले गये जहां वे खाना बनाने का काम करते थे और पैसे को आफिस वालों को देते थे बाद में वे चेतराम के साथ गांव वापस आ गये काम के बदले उन्हें 12 हजार रुपये मिला था जिसमें से 5 हजार रुपये उन्हें दिये गये थे । पुलिस ने विवेचना उपरांत मामला अदालत में पेश किया गया जहां से सेशन ट्रायल में इस न्यायालय में प्रस्तुत हुआ और विद्धान न्यायाधीश ने सभी तथ्यों के विचारण के बाद भा.द.वि की धारा 370 उपधारा 3 में चैतराम प्रेमनगर पत्थलगांव ,पंचो बाई व गौरव साहा को दस दस साल सश्रम कारावास व अर्थदंड से दंडित किया जिसमें अभिरक्षा में बितायी गयी अवधी मुजरा की जावेगी मामले में अभियोजन की और से अपर लोक अभियोजक राजीव बेरीवाल ने पैरवी की ।




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