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सरायपाली : आम जनता के मुद्दों से नहीं कोई सरोकार ! अपनी दावेदारी मजबूत करने जनसंपर्क में जुटे चुनावी नेता, क्या ऐसे होगा क्षेत्र का विकास

आगामी विधानसभा चुनाव में अपने किस्मत आजमाने को लेकर इन दिनों प्रत्याशी अपने-अपने स्तर पर लोगों से जनसंपर्क करने में जुट चुके हैं. जिन्हें देखकर लगने लगा है कि चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी है. वैसे तो ये प्रत्याशी चुनाव से कुछ महीने पहले जमीन पर दिखाई देते हैं. और अचानक इनके सिर में मुद्दों का भुत सवार हो जाता है. गाँव-गाँव जाकर ये अचानक विकास की बातें करने लगते हैं. लेकिन एक तरह से देखा जाए तो ये केवल इन नेताओं का दिखावा होता है. इनके पीछे का असली मकसद अपने स्वयं के सपने साकार करने का होता है. ये चुनावी गणित बिगाड़ने में भी माहिर होते हैं और अंत में कुछ ना होता देख पतली गली से निकल जाते हैं.

ये नेता आये दिन अपनी सुविधा के अनुसार गाँव में जनसंपर्क किया करते हैं, जबकि इनके क्षेत्र में ऐसे कई गाँव होते हैं जहाँ पुल, स्कूल, सड़के और पानी को लेकर लोग चुनाव बहिस्कार करते हैं. लेकिन जनसंपर्क करने वाले ऐसे नेता इन गाँव का अनदेखा करते हैं, ये नेता ऐसे गाँव में किसी भी तरह की कोई समस्या हल करते नजर नहीं आते.

इन दिनों बसना विधानसभा से अधिक सरायपाली विधानसभा में नेता सक्रीय नजर आ रहे हैं, विगत चुनाव में जहाँ बसना विधानसभा से तैयारी में जुटे दर्जनों नेता नजर आते थे, तो वहीँ अब सरायपाली में बसना से कहीं अधिक प्रत्याशी अपने चुनाव की तैयारी में जुटते हुए नजर आ रहे हैं. लेकिन ये नेता उन गाँव में नजर नहीं आ रहे हैं जहाँ समस्या है. ऐसे नेता कम समय में किसी तरह अधिक से अधिक प्रचार कर अपनी दावेदारी जुटाने में लगे रहते हैं. जनता के मुद्दों से इनका कोई सरोकार नहीं होता.

आज तक सरायपाली जिला नहीं बन पाया, क्षेत्र को रेल की सुविधा नहीं मिली, मरीजों को ठंग का अस्पताल नहीं मिल पाया, कुछ गाँव में पुल नहीं बन पाए, विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा की व्यवस्था नहीं हो पाई. क्या इन चुनावी नेताओं को ये नजर नहीं आते.

खैर, जब चुना हुआ प्रतिनिधि ही शासकीय अस्पताल में सुविधाओं का जायजा लेना छोड़ निजी अस्पताल के प्रचार और उद्घाटन में जाने लग जाए तब आप समझ जाएँ की सरकारी व्यवस्था बिल्कूल भगवान भरोषे हैं. क्या इन्हें शासकीय अस्पताल में पहुँचने वाले पीड़ितों की व्यथा नहीं दिखाई देती. शासकीय अस्पताल छोड़ निजी अस्पताल पहुंचकर योजना के नाम पर भी जेब से पैसे भर रहे मरीजों की चीख इन्हें सुनाई नहीं दे रही. क्या किसी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि ने उस निजी अस्पताल का विरोध किया जिसपर FIR दर्ज करने के आदेश जारी होने के बावजूद FIR दर्ज नहीं हो पाया. इससे आप समझ सकते हैं कि ये जनप्रतिनिधि किस तरह आपके क्षेत्र के विकास का ध्यान रखते हैं. यदि ऐसे कोई नेता आपके गाँव पहुचंते हैं तो उन्हें अपनी समस्या बताएं, उसपर पहल करने बोलें और वीडयो बनाकर हमें भेजें.




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