जानिये किस्मत नन्द की प्रशासनिक सेवा से लेकर सराईपाली विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी बनने की कहानी
सरायपाली विधानसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में इस बार पूर्व में रह
चुके एक प्रशासनिक अधिकारी को मौका दिया गया है. सरायपाली विधानसभा के एक छोटे से गाँव
में रहने वाले किस्मत लाल नन्द ना केवल पुलिस विभाग में बल्कि इसके पहले कृषि
विभाग में भी अपनी छाप छोड़ चुके है.
कौन है किस्मत लाल नन्द.
रायगढ़ जिले में उप पुलिस अधीक्षक रह चुके किस्मत लाल नन्द शुरुआत से ही जुझारू रहे
है. सरायपाली विधानसभा के एक छोटे से गाँव संतपाली के निवासी किस्मत नन्द ने अपनी
प्राथमिक शिक्षा संतपाली में ही प्राप्त की, इसके बाद हायर सेकंडरी की शिक्षा
प्राप्त करने ये भंवरपुर आया करते थे. हायर सेकंडरी की शिक्षा प्राप्त करने के
पश्चात रायपुर के दुर्गा महाविद्यालय से और छत्तीसगढ़ महाविद्यालय से विधि में स्नातक
की पढाई की है.
महाविद्यालय की पढाई पूरी होने के बाद सर्वप्रथम इन्होने एक कृषि अधिकारी के रूप
में सन 1985 से से 1989 तक सेवा दी. इसके बाद 1990 में ये सीधे पुलिस के लिए चुने गए
और नक्सली क्षेत्र में 1990 से 2006 तक उप निरीक्षक के रूप में अपनी सेवाए दी.
2006 में नक्सलीयों के साथ हुए मुठभेड़ में इन्होने अपनी साहस का परिचय दिखाया और
सीधे इनका आउट आफ टर्न प्रमोशन कर के उप निरीक्षक से मुख्य निरीक्षक बना दिया गया.
इसके बाद 2017 तक ये मुख्य निरीक्षक के पद पे ही रहे और फरवरी 2018 में इन्हें
पुलिस उप अधीक्षक बना दिया गया.
राजनीति में आने के कारण.
किस्मत लाल नन्द का मानना है कि बीते 15 सालों से राज्य में भारतीय जनता पार्टी की
सरकार है और 2008 में हरिदास
भरद्वाज जी यहाँ के विधायक रहे है जो कि बहार के प्रत्याशी थे और जितने के बाद वे
कभी इलाके में ध्यान नहीं दिए. इसके बाद 2013 में रामलाल चौहान जी को लोगों ने
मौका दिया और उनके काम से जनता काफी नाखुश है, क्षेत्र में वे कभी ध्यान नहीं दे
पाए.
उनका कहना है कि क्षेत्र में आज भी बिजली, स्वास्थ, शिक्षा और सड़क मुख्य मुद्दा
बना हुआ है, इसके साथ सरायपाली एक कृषि प्रधान इलाका है इसके लिए यहाँ अब तक एग्रीकल्चर
कॉलेज का खुल जाना था, जो अभी तक नहीं हो पाया.
नन्द ने बताया कि यदि हम स्वास्थ की बात करें तो 100 बिस्तर का अस्पताल 30 बिस्तर में सिमट कर रह
गया, जहाँ हॉस्पिटल है वहां या तो टेक्नोलॉजी नहीं या तो डॉक्टर नहीं है. स्कूलों
को भी हाई स्कूल को हायरसेकण्ड्री में उन्नयन किया गया है. लेकिन वहाँ कोई पढ़ाने
वाला नहीं है. राजनीति में आने के बाद बिजली, स्वास्थ, शिक्षा, कृषि, सिंचाई और सड़क उनकी पहली
प्राथमिकता होगी.