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कोर्स पूरा नहीं होनें से विद्यार्थियों को अर्धवार्षिक परीक्षा की हुई चिंता

सरायपाली. आगामी 27 नवंबर से शासकीय विद्यालयों में अर्धवार्षिक की परीक्षा शुरू होने वाली है और अब तक आधा भी कोर्स पूरा नहीं हुआ है. ऐसी स्थिति में विद्यार्थी किस प्रकार से परीक्षा देंगे, इसे लेकर विद्यार्थी सहित शिक्षक व अभिभावक दोनों चिंतित दिखाई दे रहे हैं. एक ओर विभिन्न चरणों में चुनाव प्रशिक्षण व चुनाव ड्यूटी लगने के कारण जहाँ शिक्षक कोर्स पूरा नहीं करा पाये वहीं कोर्स पूरा न होने में त्यौहारी छुट्टियों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही. बार-बार व्यवधान उत्पन्न होने के कारण विगत माह भर में विद्यार्थियों में भी पढ़ाई को लेकर उत्साह कम देखा गया.
  
दशहरे के समय से ही स्कूलों में छुट्टियों का सिलसिला शुरू हो गया जो नवम्बर माह के अंतिम सप्ताह तक चलता रहा. इस बीच त्यौहारी छुट्टियों के अलावा चुनाव के कारण भी स्कूलों में छुट्टी जैसा माहौल रहा. अक्टूबर माह से ही शिक्षकों का विभिन्न चरणों में चुनाव प्रशिक्षण प्रारंभ हो गया था, जो कि दीपावली के बाद तक चलता रहा. इसके बाद 18 नवम्बर से चुनाव में शिक्षकों की ड्यूटी लग गई. कई प्रकार की छुट्यिों और चुनावी व्यस्तता के कारण शिक्षक भी एकाग्र होकर विद्यालयों में अध्यापन कार्य नहीं कर सके एवं विद्यार्थियों में भी बार-बार व्यवधान उत्पन्न होने के कारण पढ़ाई के प्रति रूचि कम देखी देखी गई. परिणाम स्वरूप अब तक कई कक्षाओं में आधा कोर्स भी पूरा नहीं हो सका है. जबकि 27 नवम्बर से कक्षा 9वीं से 12वीं तक की अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं और 5 दिसम्बर से कक्षा पहली से आठवीं तक की भी अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो जाएंगी. प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक कक्षाओं के लिए तो कोर्स आगे बढ़ाने के लिए सप्ताह भर का समय मिल जाएगा लेकिन 9वीं से बारहवीं तक के लिए विकट परिस्थिति उत्पन्न हो गई है.

कुछ शिक्षकों ने चर्चा के दौरान बताया कि अर्धवार्षिक परीक्षा के पूर्व लगभग 75 प्रतिशत कोर्स पूरा करना होता है. लेकिन इस वर्ष छुट्टियों एवं चुनाव संबंधित कार्यों के कारण 50 प्रतिशत कोर्स भी पूरा नहीं हो पाया है. अब परीक्षा में किस तरह के प्रश्न आएंगे इसे लेकर शिक्षकों और विद्यार्थियों सभी में चिंता देखी जा रही है. सभी कक्षाओं का प्रश्न पत्र जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से आएगा. कोर्स पूरा न होने के कारण बच्चे कई पाठ को बिना पढे ही परीक्षा देंगे, जिसका प्रभाव उनके रिजल्ट पर भी पडेÞगा. इससे पालक एवं बच्चे भी पढ़ाई को लेकर सही आंकलन नहीं लगा पाएंगे.




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