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क्या किसी राजनैतिक विचारधारा से प्रेरित है “क्रांतिकारी पत्रकार” पुण्य प्रसून वाजपेयी ?

आज तक’ और ‘एबीपी’ जैसे न्यूज़ चैनल में काम करने के बाद ‘सूर्या समाचार’ में एडिटर-इन-चीफ के ओहदे पर आसीन पुण्य प्रसून वाजपेयी आज एक यू ट्यूब चैनल में काम करने को मजबूर हैं. किसी ज़माने में “क्रांतिकारी पत्रकार” के नाम से मशहूर होने वाले पुण्य प्रसून वाजपेयी कल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में गांधी ग्लोबल फैमिली द्वारा आयोजित “प्रतिरोध के स्वर” में उपस्थित हुए.                         

  जहाँ उन्होंने देश के मौजूदा हालातों को लेकर चिंता जाहिर करते हुए उन्होंने नेहरु से लेकर मोदी की सत्ता के दौर पर भी अपने विचार रखे. उन्होंने इंदिरा द्वारा लगाई गई इमरजेंसी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उस दौर में भी ट्रांसपरेंसी थी पारदर्शिता थी. इमरजेंसी लगाई गई उसमें भी ट्रांसपरेंसी थी लेकिन अब वो ट्रांसपरेंसी गायब हो गई है.

उनका यह बयान राजनैतिक विचारधारा से प्रेरित माना जा सकता है. “प्रतिरोध के स्वर” जिसके नाम से यह पता चलता है कि यह विपक्ष द्वारा तैयार किया गया मंच है. और इस मंच में किसी पत्रकार का आकर संबोधन करना यह प्रमाणित करता है कि वे किसी राजनैतिक विचारधारा से जुड़े हुए व्यक्ति है.

पहले भी उनका अरविंद केजरीवाल के साथ न्यूज-सेटिंग का तमाशा पूरी दुनिया देख चुकी है. इसके बावजूद अपने आप को निष्पक्ष पत्रकार कहना निष्पक्ष पत्रकारों का अपमान जैसा है.

2004 से 2014 के बीच 50 लाख करोड़ से अधिक का घोटाला हुआ, लेकिन इस तथाकथित निष्पक्ष पत्रकार ने एक भी रिपोर्ट यूपीए सरकार के खिलाफ नहीं चलाई. और  ना ही कभी किसी मंच में देखे गए.







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