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जब 30 बिस्तर के अस्पताल में पहुंचे 30 घायल...

रायपुर से बरगढ़ ओडिशा की तरफ जाने वाली बस में सवार यात्री आज सुबह लगभग 10 बजे बसना थाना अंतर्गत बिटांगीपली के पास अपने गंतव्य को छोड़कर अस्पताल पहुँच गए. इस बस में सवार 30 यात्री घायल हो गए जिसमे 3 की हालत अत्यंत ही गंभीर हो गई है. घायलों में 4 व 6 माह के दुधमुहे बच्चे के अलावा 2 वर्ष के बच्चे से लेकर 70 वर्ष की आयु वाले वृद्ध व्यक्ति भी शामिल है.


जानकारी के अनुसार बस को एक ट्रक के द्वारा पीछे से ठोकर मार दिया गया जिसके कारण बस रोड से उतरकर लगभग 30 फीट नीचे पुल में उतर गई. बस की सभी सीटों की स्थिति भी बदल गई. हालाकि आये दिन बस वाले भी कहीं भी किसी भी रफ्तार में ब्रेक मार देते है इस बात से भी मुकरा नहीं जा सकता फिलहाल पुलिस मामले की जाँच कर रही है.

      

इस घटना को लेकर पुलिस, स्वास्थ विभाग और नेशनल हाइवे के कर्मचारियों का सराहनीय योगदान रहा. जानकारी मिलते ही घायलों को राहत दिलाने के लिए सभी अधिकारी जुटे रहे. इससे पहले भी जनवरी के महीने में बसना के पास अंकोरी टांडा में हुए एक दुर्घटना में सामूहिक रूप से घायल लोग बसना के सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र ले आ आये गए थे.


अस्पताल पहुंचे तब और आज के मरीजों की स्थिति एक जैसी रही डॉक्टरों द्वारा वहां घायलों का इलाज जैसे-तैसे निपटाकर तो कर दिया जाता है, मगर उपकरणों की का दंश पूरा क्षेत्र झेलता है. उपकरण नहीं होने की वजह से सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र एक तरह से अघोषित रूप से उप स्वास्थ केन्द्र की बन चूका है. मगर इस उप स्वास्थ केन्द्र से मरीजों को निजी अस्पताल की तरफ जाना पड़ता है.


30 बिस्तर वाला यह अस्पताल वैसे तो सिमटते जा रहा है. मगर 30 बिस्तर के अस्पताल में अगर 30 घायल एक साथ पहुंचे तो वहां की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. जगह की कमी के चलते वहां कई घायलों को बरामदे में रखा गया था. यह बरामदा वैसे तो अस्पतालों के कक्ष में पहुँचने को बनाये गए है मगर अक्सर घायलों को यही रख दिया जाता है. बावजूद इसके की उस बरामदे में इतनी गर्मी में पंखा नहीं है.


घायलों के पहुँचने के बाद वहां चलने की भी जगह नहीं होती, ना किसी प्रकार से पानी की व्यवस्था पानी का तो नामों निशान ही नहीं है वहां पानी पीना हो तो अस्पताल परिसर के बहार जाना पड़ता है. जहाँ स्वास्थ विभाग मरीजों के लिए स्वछ पानी की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है बावजूद इसके की विकासखंड अधिकारी ये कहते है कि विभाग के पास पैसा तो है, पर जीवन दीप समिति से बैठक करने का समय नहीं बन पा रहा है जिसके लिए ना अस्पताल में उपकरण है ना ही पंखे, और ना ही पानी की व्यवस्था.



विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रधान ने बताया कि जो उपकरण मौजूद है वह भी काफी पुराने हो चुके है और वर्त्तमान में किसी कार्य के नहीं है. क्षेत्र के लोगों को नए उपकरणों का लाभ मिल पाए ऐसी उम्मीद भी कम नजर आती है. अस्पताल के व्यवस्था पर तहसीलदार साहब जिम्मेदारी मानों कुछ है ही नहीं. उन्होंने सभी हालातों के लिए विकासखंड चिकित्सा अधिकारी से बात करने कहा और व्यवस्था की सवालों से किनारा करते रहे.


वहीं सत्ता पक्ष से मौजूद ब्लाक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इस्तियाक खैरानी ने बीजेपी पे जमकर निशाना साधा और कहा कि 15 साल की अपनी सरकार में बीजेपी ने अस्पतालों में केवल अपने अपने एजेंट बैठाये रखे जिसके चलते अस्पताल रेफर सेंटर बन गया है. उन्होंने तहसीलदार के रवैये और बसों को दिए जाने वाली परमिट को लेकर भी नाराजगी जाहिर कि. और जल्द ही व्यवस्था के पुखते इंतजाम का आश्वाशन दिया.      





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