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कहाँ है आवास का पैसा ? 2 वर्षों से विभाग कर रहा जाँच, 85 वर्ष की वृद्धा को है इंतजार !

भ्रष्टाचारियों के लिए पोषक बना हुआ प्रधानमंत्री आवास योजना में मिलने वाली भुगतान राशि में गड़बड़ियों की शिकायत अब आम बात है. शिकायत के नाम पे चलने वाली जांच का खामियाजा हितग्राही भुगत रहें. स्थिति अब ऐसी है कि 85 वर्ष की एक वृद्ध और असहाय महिला को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है.

मामला है बसना ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत रुपापाली का जहाँ शासन द्वारा हितग्राही के खाते में पैसे आये निकाले भी गए लेकिन उस निकले हुए राशि की जानकारी अब हितग्राहियों के पास नहीं है. जिसके कारण उनका आवास पूर्ण होने से अधुरा रह गया है.

ग्राम पंचायत रुपापाली की महिला बेलमोती चौहान एवं ललिता तांडी को मार्च 2017 में प्रधानमंत्री आवास बनाने को स्वीकृति मिली. किन्तु ये दोनों महिलाएं असहाय थी इसलिए इस आवास को बनाने की जिम्मेदारी इन महिलाओं द्वारा सरपंच को दे दी गयी.

जिम्मेदारी को शपथ पत्र के माध्यम से सत्यापित भी किया गया था जिसमे संपूर्ण राशि को नियम एक शर्तों के तहत किस्तों में दिया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया पहले तो दोनों हितग्राहियों द्वारा सितंबर 2017 में भंवरपुर चौकी में सरपंच के खिलाफ शिकायत की गई और आवास के निर्माण को लेकर आपत्ति जताई गई.

मगर कुछ ही दिन बाद उस शिकायत पे दोनों हितग्राहियों द्वारा एक राजीनामा बनाया गया जिसमें सरपंच के ख़िलाफ की गई शिकायत में कोई आपत्ति नहीं थी. इसके बाद दिसंबर 2017 में सरपंच के द्वारा बसना मुख्य कार्यपालन अधिकारी को एक शिकायत की गई. जिसके तहत सरपंच द्वारा बताया गया कि हितग्राहियों द्वारा उन्हें  आवास द्वारा प्रदान किया गया क़िस्त नहीं मिल रहा है.

इस शिकायत में सरपंच ने यह भी बताया है कि 28 दिसंबर 2017 में दोनों हितग्राहियों को नोटिस जारी कर तहसीलदार के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया था मगर हितग्राहियों ने नोटिस लेने से इंकार कर दिया.

इस मामले को लेकर जब बसना जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से जाँच के विषय में पूछा गया तो उनके द्वारा प्रधानमंत्री आवास कार्यालय में इसकी जानकारी लेने को गया. मगर वहां जाँच चल रही है कहकर लौटा दिया गया.

अब 2 वर्ष से चल रहे इस मामले को लेकर 85 वर्ष की वृद्धा भी आवास के बनने को लेकर अपनी उम्मीद खो दी है, दोनों हितग्राहियों का कहना है कि राशि के बारें में उन्हें कोई जानकारी नहीं है जो भी राशि है सरपंच हमें नौगढ़ी के बैंक ले जाकर निकाल लाया करता था.

वहीं सरपंच का कहना है कि हितग्राहियों ने अपने खाते से राशि तो निकाल ली लेकिन शर्तों के तहत उन्हें दिया नहीं. और दोनों हितग्राहियों ने 40 और 42 हजार रुपये का गबन किया है.

इस मामले की सच्चाई 2 वर्षों से तहसीलदार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, और पुलिस अलग अलग तरीकों से निकाल रहे है मगर अब तक नाकाम रहे है. अब तो 85 वर्ष की उस वृद्ध महिला को देखकर भी ऐसा लगता है कि उसने जाँच से न्याय की उम्मीद छोड़ दी है.






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