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सौरमंडल में जुड़वा ग्रह के नाम वाले नेप्च्यून और यूरेनस के कलर आखिर क्यों है अलग-अलग

हमारे सौरमंडल के सभी ग्रह बहुत अलग-अलग हैं लेकिन कई ग्रहों मे समानताएं भी देखने को मिलती हैं. पृथ्वी और मंगल में कई समानताएं हैं तो पृथ्वी शुक्र में कई भिन्नताएं होने के बाद भी कुछ समानताएं हैं. ऐसा ही कुछ यूरेनस और नेप्च्यून में भी है. दोनों ही जुड़वा ग्रह की तरह लगते हैं. उनका लगभग समान आकार और भार है, समान संरचनाएं और घूर्णन की गति भी एक ही सी है. लेकिन दोनों में एक अंतर ने वैज्ञानिकों को हैरान जरूर कर रखा है. जहां नेप्च्यून कुछ गहरे नीले रंग का दिखाई देता है वहीं यूरेनस के हल्के नीले रंग में हरापन दिखाई देता है. नए अध्ययन ने इस अंतर पर रोशनी डालने का काम किया है.

यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के ग्रह भौतिकविद पैट्रिक इरविन की अगुआई वाली टीम के मुताबिक यूरेनस में जो धुंध की अतिरिक्त परत है वही इस ग्रह के रंग को हलका करने का काम करती है. अध्ययन में बताया गया है कि धुंध की वजह से ही नेप्च्यून की तुलना में यूरेनस के रंग में थोड़ा पीलापन आ जाता है. हैरानी की बात यह है कि दोनों ही ग्रहों में कमाल की समानताएं  दिखती हैं.  दोनों में छोटी पथरीली क्रोड़ है जो पानी, अमोनिया, मीथेन की बर्फ के मेंटल से घिरी हैं इसके ऊपर गैसीय वायुमंडल में मुख्यतः हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन गैस हैं.

इसके बाद दोनों ही ग्रहों के ऊपरी वायुमंडल में बादल हैं. दोनों का वायुमंडल सौरमंडल के दूसरे ग्रहों की तरह ही परतदार है. एक टीम ने ने दोनों ग्रहों का दृष्टिगोचर और निकट अवरक्त अवलोकनों का विश्लेषण कर उनकी वायुमंडलीय परतों की दो प्रतिमान बनाए. उन्होंने ऐसे प्रतिमान का पता लगाया जो ऐसे अवलोकनों को नतीजे के रूप में दे सके जैसे देखने को मिल रहे है. इसमें दोनों ग्रहों के रंग भी शामिल हैं. 

इन प्रतिमानों या मॉडल्स में दोनों ही ग्रहों में फोटोकैमिकल धुंध की परत है. ऐसा तब होता है जब सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणें वायुमंडल के एरोसॉल के कणों को तोड़ देती हैं जिससे धुंध के कण पैदा होते हैं. यह सामान्य प्रक्रिया शुक्र, पृथ्वी, शनि, गुरु और बौने ग्रह प्लूटो से लेकर टाटन एवं ट्रिटोन चंद्रमाओं में भी देखने को मिलती है.

शोधकर्ताओं ने इसे एरोसॉल -2 नाम दिया जो दोनों ग्रहों में बादलों को पोषित करने वाले स्रोत नजर आती है. इससे मीथेन बर्फ में बदल जाता और निचले वायुमंडल में हिम का रूप ले लेता है. लेकिन यूरेनस में यही परत नेप्च्यून की तुलना में दोगुनी अपारदर्शी है. यही वजह है कि दोनों ग्रह इतने ज्यादा अलग नजर आते हैं.




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