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बच्चा बेचने वाले गिरोह का भंडाफोड़, इतने रुपये में बेचे जाते थे बच्चे...

बच्चा बेचने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का मुम्बई क्राइम ब्रांच यूनिट ने भंडाफोड़ किया है. यह गैंग बच्चे को महाराष्ट्र के अलावा तेलंगाना, आंध्रप्रदेश और अन्य दूसरे शहरों में बेचते थे. क्राइम ब्रांच यूनिट 2 ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. साथ ही बेचे गए 2 बच्चों का रेस्क्यू भी किया है.

क्राइम ब्रांच की डीसीपी रागसुधा आर के मुताबिक उन्हें ये जानकारी मिली थी कि विक्रोली की रहने वाली कांता पेडनेकर नामक महिला ने अपने 5 महीने के बच्चे को शीतल वारे नामक महिला को बेच दिया है. क्राइम ब्रांच की टीम ने शीतल वारे को ढूंढ कर पूछताछ की तो पता चला कि शीतल ने सिर्फ 1 बच्चे को नहीं बल्कि 5 बच्चे को बेचा है. वहीं कांता पेडनेकर के बच्चे को एक डॉक्टर को बेच दिया है.

जानकारी मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने उस डॉक्टर जिसका नाम संजय सोपन राव है. उससे पूछताछ की तो पता चला कि उसने बच्चे को किसी दूसरे आदमी को दो लाख में बेच दिया गया है. इस मामले में क्राइम ब्रांच की टीम ने और जांच की तो पता चला की इस गिरोह ने अब तक कुल 14 बच्चों को बेचा है. बेचे गए बच्चों की उम्र करीब 8 महीने से लेकर 2 साल तक है.

गैंग के सात मेंबर गिरफ्तार

मुम्बई क्राइम ब्रांच अब तक इस गिरोह के 7 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. मुम्बई क्राइम ब्रांच ने अब तक रत्नागिरी और मालाड से दो बच्चों को रेस्क्यू भी किया है. क्राइम ब्रांच को जांच में ये पता चला कि ये एजेंट फर्टिलिटी अस्पतालों में काम करते हैं. इसके चलते इन्हें आसानी से जानकारी मिल जाती है कि किसे बच्चे की जरूरत है.

डीसीपी रागसुधा आर के मुताबिक अभी तक 14 बच्चों को बेचे जाने की जानकारी मिली है. हमलोग जांच कर रहे है और भी बच्चे के बेचे जाने की उम्मीद है. ये लोग बच्चे को 80 हजार से लेकर 4 लाख रुपये तक में बेचते थे. जिन दो बच्चों को रेस्क्यू कराया गया है. उसे ढाई लाख और दो लाख में बेचा गया था. विक्रोली पुलिस ने इस मामले में पोक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है.

गिरफ्तार 7 आरोपियों के अलावा 3 और लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. गिरफ्तार आरोपियों में वंदना अमित पवार,शीतल गणेश वारे, स्नेहा युवराज सूर्यवंशी, नसीमा हनीफ खान, लता नानाभाऊ सुरवाडे, शरद मारुति देवार, डॉ. संजय सोपानराव खंडारे शामिल हैं. गिरफ्तार आरोपियों ने नवजात शिशुओं को अपने दलालों के माध्यम से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों और राज्यों में बेचा है.




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