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नायब तहसीलदार के.के.चंद्राकर के ख़िलाफ उग्र हुआ अधिवक्ताओं का आंदोलन, भ्र्ष्टाचार जैसे आरोपों के बाद जाँच नहीं कर रहे अधिकारी, तहसील न्यायालय बसना का पूर्ण रूप से करेंगे बहिष्कार.

आखिरकार अधिवक्ताओं ने विवश होकर आंदोलन को उग्र कर दिया. बसना तहसील के नायब तहसीलदार के.के.चंद्राकर के विरुद्ध विवश अधिवक्ताओं ने तहसील कार्यालय बसना और और इससे संबंधित कैम्प आदि के बहिष्कार की घोषणा कर ही दी.

ज्ञात हो कि, अधिवक्ताओं और कई पीड़ित पक्षों ने पूर्व में नायब तहसीलदार के.के.चंद्राकर के खिलाफ तत्कालीन मुख्यमंत्री से लेकर राजस्व कमिश्नर से लिखित शिकायत की थी.

28 सितम्बर 2018 को cgsandesh.com पर तहसीलदार का हाहाकर शीर्षक से प्रकाशित खबर में सपष्ट रूप से सूत्रों, शिकायतकर्ताओं एवं उपलब्ध शिकायत के आधार पर प्रकाशित किया था. जिसके बाद शिकायत एवं समाचार पत्र में प्रकाशित समाचार के आधार पर उच्चाधिकारियों ने जांच के लिए तत्कालीन एस डी एम को निर्देशित किया था, जांच पूरी होने के पहले उनका विभागीय स्थानांतरण हो गया उसके पश्चात आने वाले अधिकारियों ने चुनावी कार्य मे व्यस्तता को कारण बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया और वर्तमान एस डी एम विनय कुमार जी चुनाव के तत्काल बाद से ही अवकाश में है.

जब समस्या का कोई समाधान नही हुआ, तो अधिवक्ता गण ने राजस्व कमिश्नर से भेंट कर उन्हें पूर्व शिकायत के विषय मे बताया और जांच करने के लिए आवेदन दिया, जिसे स्वीकार करते हुए राजस्व कमिश्रर ने प्रभारी एस डी एम एक्का जी को तत्काल निर्देशित किया की 2 दिन में जांच कर पीड़ित पक्षों एवं अधिवक्ताओं का पक्ष जान कर सूचित करें.  

लेकिन आज दिनांक तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही किये जाने पर और और नायब तहसीलदार द्वारा अधिवक्ताओं को दलाल जैसे ओछे शब्द से संबोधित किये जाने पर अधिवक्ता संघ बसना द्वारा कार्यवाही न होने तक तहसील न्यायालय बसना का पूर्ण रूप से बहिष्कार का निर्णय लिया गया है.

नायब तहसीलदार के विरुद्ध प्रमुख शिकायतें हैं निम्नलिखित हैं -

  1. भ्र्ष्टाचार
  2. अधिवक्ताओं के प्रति अभद्रतापूर्ण भाषा का प्रयोग
  3. नियमविरुद्ध जाकर ग्रामीणों का शोषण
  4. अवैध वसूली
  5. पद का दुरुपयोग

 

जन प्रतिनिधियों की संदिग्ध भूमिका

पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री को दी गयी शिकायत की प्रति में  शिकायत कर्ताओं के पक्ष में नगर पंचायत बसना के उपाध्यक्ष अभिमन्यु जयसवाल और जनपद पंचायत सदस्य जन्मजय साव के भी हस्तक्षार थे, लेकिन बाद में इन दोनों ने अपने हस्ताक्षर से पलटकर तहसीलदार के पक्ष में पत्र लिख कर उच्चाधिकारियों से तहसीलदार की सिफारिश की, यंहा एक ध्यान देने योग्य बात यह है की दोनों भाजपा पार्टी से जुड़े हुए हैं, जो उस समय सत्ता में थी और सत्ताधिन के कैसे जनप्रतिनिधि हैं, जो अपनी जनता और अपने स्थानीय लोगों के संघर्ष में उनका साथ छोड़कर एक भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी का साथ दे रहे हैं, आखिर कौन सी ऐसी मजबूरी या अपनेपन का भाव है, जो इन्हें एक भृष्टाचारी अधिकारी के समर्थन को मजबूर कर रहा है.





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