
हम सब मिलकर बुजुर्गों के साथ होने वाली दुर्व्यवहार को रोक सकते है - डॉ. एकता लंगेह
विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस के अवसर पर समाजसेवी डॉ एकता लंगेह के मार्गदर्शन में आशियाना वृद्धाश्रम में वृद्धजनों संग जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान डा. एकता ने कहा कि बुजुर्गों के साथ दुर्व्यवहार एकल या बार-बार होने वाली घटना या उचित कार्रवाई की कमी के कारण किसी भी रिश्ते में घटित हो सकती है। कई परिवारों में बुजुर्गों पर बेतहाशा अत्याचार भी होता है और वक्त के साथ सब कुछ ठीक हो जाने की उम्मीद के साथ बुजुर्ग चुप रहते हैं। बहुत बार ऐसा होता है कि किसी बात का विरोध आदि करने पर उन्हें घर से निकाल दिया जाता है। बहुत से बुजुर्गों के साथ मारपीट तक की घटना होती है और आंखों में आंसू लेकर बुजुर्ग आसरा ढूंढते हैं। ऐसे में आशियाना की तरह का कोई आसरा मिल जाता है तो बुजुर्ग कुछ दिन और जी लेते हैं। यह हमारे संस्कार के खिलाफ है। होना तो यह चाहिए कि वृद्धाश्रम की जरूरत न पडे़। लेकिन वर्तमान में परिवार विभाजन की स्थिति को देते हुए वृद्धाश्रम बहुत जरूरी हो चुका है। यहां आकर आप सभी शांति से जीवन यापन कीजिये। यहां आपकी देखरेख में कोई कमी होती है, तो शासन प्रशासन उस कमी को पूरा करने के लिए तैयार है।
उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक सामाजिक मुद्दा है जो बुजुर्गों के स्वास्थ्य और मानव अधिकारों को प्रभावित करता है। इसके लिए ध्यान देने की आवश्यकता है साथ ही शोधकर्ताओं और कानूनी नियमों के अनुसार बुजुर्गों के साथ हो रहे पांच प्रकार के दुर्व्यवहारों मसलन शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, भौतिक, शोषण, अपेक्षा और यौन हमले जैसे दुर्व्यवहारों को पहचान करने, समझने और उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए हम सबको एक जुट होना पडेगा।
कार्यक्रम में विपिन मोहंती ने इसके महत्व को बताते हुए कहा कि जीवन प्रत्याशा में वृद्धि संयुक्त परिवार संरचना में गिरावट और सामाजिक विघटन के संयोजन ने वृद्ध व्यक्तियों को अकेलेपन और सावधानी का अनुभव कराया है। यह अनुशंसा की जाती है कि वृद्ध लोग शारीरिक गतिविधियों में शामिल होकर पौष्टिक आहार का सेवन करने और तंबाकू शराब और अन्य हानिकारक पदार्थों से परहेज करने स्वस्थ जीवन शैली बनाए रखें।

इस अवसर पर अतिथियां ने कहा कि बुजुर्ग आबादी किसी भी समाज के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है। उम्र बढ़ना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो अवसर और चुनौतियां दोनों लेकर आती है। 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 10.4 करोड़ लोग रहते हैं जो कुल जनसंख्या का 8.6 प्रतिशत है। इस जनसंख्या में महिलाओं की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। जिसे सुरक्षित व संरक्षित रखना है। इस जागरूकता अभियान का ध्यान वृद्ध लोगों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने और उम्र के प्रति भेदभावपूर्ण रवैया को चुनौती देने पर केंद्रित होगा। सामाजिक दृष्टिकोण को बदलकर और उम्र के महत्व पर जोर देकर हम वृद्ध लोगों के लिए एक सुरक्षित और अधिक समावेशी समाज की दिशा में काम कर सकते हैं। हम वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार को रोकने के लिए एक दिशा निर्धारित कर सकते हैं।
इस अवसर पर समाज कल्याण विभाग द्वारा बुजुर्गों को मिलने वाली शासन की विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया। कार्यक्रम के पश्चात अतिथियों ने बुजुर्गों को कपड़े और आवश्यक सामग्री भेंट किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद सभी ने बुजुर्गो संग भोजन किया। कार्यक्रम में स्वयंसेवी संस्था के सदस्य, आशियाना वृद्धा आश्रम व घरौंदा संस्था के समस्त सदस्य देखरेख में जुटी महिलाएं उपस्थित थीं।
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