
ITR भरने से पहले टैक्स कैलकुलेटर जरूर करें इस्तेमाल, वरना हो सकता है नुकसान
आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने से पहले अगर आप अपनी इनकम और टैक्स दायित्व को सही तरीके से समझना चाहते हैं, तो टैक्स कैलकुलेटर आपके लिए एक जरूरी टूल है। यह न केवल आपकी टैक्स लायबिलिटी का अनुमान लगाने में मदद करता है, बल्कि यह तय करने में भी सहायता करता है कि पुरानी टैक्स व्यवस्था आपके लिए बेहतर है या नई।
टैक्स कैलकुलेटर कैसे करता है काम?
1. कैलकुलेटर खोलें और नीचे दी गई जानकारी भरें:
असेसमेंट ईयर (2026-27)
टैक्सपेयर की श्रेणी (जैसे Individual, HUF, कंपनी आदि)
उम्र की श्रेणी (नॉर्मल, सीनियर, सुपर सीनियर)
रेजिडेंशियल स्टेटस
2. टैक्सेबल इनकम दर्ज करें – इसमें आपकी कुल आय शामिल होनी चाहिए (सैलरी, बिज़नेस, किराया आदि)।
3. कैलकुलेटर ऑटोमैटिक रूप से टैक्स स्लैब के अनुसार आपकी देनदारी, सरचार्ज और 4% हेल्थ व एजुकेशन सेस जोड़कर कुल टैक्स दिखा देगा।
4. अंत में, एक स्क्रीन पर आपकी पूरी टैक्स लायबिलिटी रिपोर्ट मिल जाएगी।
नई बनाम पुरानी टैक्स व्यवस्था: कौन है फायदेमंद?
पुरानी टैक्स व्यवस्था में टैक्स रेट थोड़े अधिक हैं, लेकिन इसमें HRA, 80C, 80D, होम लोन ब्याज जैसी छूटें मिलती हैं।
नई टैक्स व्यवस्था में स्लैब दरें कम हैं, लेकिन कोई डिडक्शन या छूट नहीं मिलती।
FY 2024-25 के लिए:
पुरानी व्यवस्था में ₹5 लाख तक की इनकम पर सेक्शन 87A के तहत पूरा टैक्स माफ।
नई व्यवस्था में यह छूट ₹7 लाख तक थी, जिसे बजट 2025 में बढ़ाकर ₹12 लाख कर दिया गया है।
क्यों जरूरी है टैक्स कैलकुलेटर का इस्तेमाल?
सटीक कैलकुलेशन से ITR भरते समय गलती नहीं होती।
आपको पहले से पता होता है कितना टैक्स देना है और कितना रिफंड मिल सकता है।
टैक्स डिफॉल्ट या रिफंड में देरी की आशंका कम हो जाती है।
यह टूल खासकर उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है जो साल भर में निवेश, HRA, डोनेशन या हेल्थ पॉलिसी जैसी कटौतियां क्लेम करते हैं।