
सरस्वती शिशु मंदिर बसना में प्रथम आचार्य विकास वर्ग संपन्न
स.शि.मं. बसना में आज दिनांक 29.06.2025 को प्रथम आवर्ती संपन्न हुआ | सर्वप्रथम मां सरस्वती, ओम एवं मां भारती के छाया चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया गया | पश्चात प्राचार्य धनुर्जय साहू समिति अध्यक्ष रामचंद्र अग्रवाल एवं विद्यालय समन्वयक रमेश कुमार कर का तिलक से सम्मानित किया गया | सरस्वती वंदना के पश्चात प्रथम सत्र में वरिष्ठ आचार्य अभिमन्यु दास ने प्रार्थना अभ्यास में सरस्वती वंदना की बारीकियों एवं शुद्ध उच्चारण के साथ प्रार्थना का अभ्यास करवाया |
द्वितीय कालखंड में आचार्य संकल्पना वर्ग में रमेश कुमार कर ने अपने अभिव्यक्ति में सरस्वती शिशु मंदिर के उद्देश्य एवं भारतीय संस्कृति की संरक्षण के लिए एवं भावी पीढ़ी को मजबूत बनाने के लिए हम सबको मिलकर कार्य करने की प्रेरणा देते हुए आचार्य की परिभाषा बताते हुए कहा कि - जो अपने आचरण से शिक्षा दे वही आचार्य है |
आचार्य के करनी और कथनी बराबर होते हैं | एक श्रेष्ठ आचार्य अपने ज्ञान, चरित्र एवं योजकता से शिक्षा प्रदान करते हैं, क्योंकि श्रेष्ठ चरित्र ही व्यक्ति को महान बनाती है कहा भी गया है कि - धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और चरित्र गया तो सब कुछ चला गया | सभी में एक समान गुण नहीं होता है | बच्चों की योग्यता को परख कर ही उनके साथ व्यवहार करना चाहिए और दिशानिर्देश देना चाहिए | उनके समझ के आधार पर ही अपने विषय को प्रस्तुत करना चाहिए |
अभिभावक संपर्क के बारे में बताया कि यह विद्यालय के रीढ़ की हड्डी है | अखिल भारतीय विद्या भारती का उद्देश्य भारतीय संस्कृति का संरक्षण और भावी पीढ़ी का सर्वांगीण विकास करना है इस हेतु संपर्क के दौरान आचार्य शिशु के घर-घर पहुंचकर इस योजना को जन-जन तक पहुंचाना है | साथ ही आचार्य और अभिभावक के बीच आत्मीय संबंध स्थापित होता है | संस्कृत शिक्षण में राजेंद्र पंडा ने कहा कि संस्कृत देव वाणी है, इस भाषा को हमारी भावी पीढ़ी तक पहुंचाना आवश्यक है |
उन्होंने संस्कृत भाषा को बड़े ही सरल व सहज ढंग से अध्यापन कराने की विधि से अवगत कराया | वरिष्ठ आचार्य दिलीप बेहेरा ने वैदिक गणित में अंक, बीजांक, परम मित्र अंक, एकाधिकेन पूर्वेण, न्यूनेन विधि एवं शुन्यांत संख्या के प्रयोग से जोड़ना सिखाया | अंतिम कालखंड में गोवर्धन प्रधान एवं कुमारी प्रतिष्ठा प्रधान के द्वारा शारीरिक अभ्यास करवाया गया और संघ प्रार्थना के साथ 56 आचार्य/दीदियों के उपस्थिति में प्रथम आचार्य विकास वर्ग संपन्न हुआ |