कैश में किराया देते हैं? आयकर विभाग भेज सकता है नोटिस, जानिए कैसे बचें
क्या आप भी अपने मकान का किराया कैश में देते हैं? अगर हाँ, तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। आयकर विभाग ऐसे कैश भुगतान पर नोटिस भेज सकता है। इस आर्टिकल में हम बताएंगे कि क्यों कैश किराया खतरे में डाल सकता है और इसे कैसे सुरक्षित बनाया जाए।
आयकर विभाग का नियम
कैश में किराया देने पर आयकर विभाग नोटिस भेज सकता है।
नोटिस मिलने पर आपको यह साबित करना होगा कि किराया वास्तव में दिया गया है।
अगर सबूत नहीं है, तो जुर्माना भी लग सकता है।
विशेषज्ञ सलाह:
किराया हमेशा चेक, बैंक ट्रांसफर या UPI के माध्यम से दें। इससे आपके पास पेमेंट का बिल रहेगा।
कैश किराया क्यों खतरे में डाल सकता है?
कैश पेमेंट का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता।
आयकर विभाग जब आपकी आय और खर्चों में अंतर देखता है, तो नोटिस भेजता है।
बिना डिजिटल सबूत के करदाता को साबित करना मुश्किल हो जाता है।
 नोटिस आने पर क्या करें?
घबराएँ नहीं।
नोटिस का जवाब दें।
नोटिस में पूछे गए सवालों के अनुसार पेमेंट का सबूत और दस्तावेज जमा करें।
आयकर नोटिस से बचने के उपाय
1. सभी बड़े भुगतान डिजिटल माध्यम से करें:
बैंक ट्रांसफर
चेक
UPI
2. आय और खर्चों का रिकॉर्ड रखें:
किराया, बिजली, पानी, और अन्य खर्चों का पूरा डिजिटल रिकॉर्ड रखें।
3. सिर्फ कैश भुगतान से बचें:
कैश भुगतान करने पर भविष्य में सबूत नहीं रहेगा।
कैश में किराया देना आसान लगता है, लेकिन यह आपके लिए भविष्य में परेशानी बन सकता है। हमेशा डिजिटल पेमेंट करें और अपने खर्चों का रिकॉर्ड सुरक्षित रखें। इससे आयकर नोटिस का डर खत्म हो जाएगा।