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गौवंश के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए गौठान योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था हुई मजबूत प्रदेश में अब तक 2127 गौठान का निर्माण पूर्ण

बलौदाबाजार-राज्य सरकार द्वारा गौवंश के संवर्धन एवं संरक्षण के लिए प्रदेश के सभी गांवों में गौठान बनाए जाने का निर्णय लिया गया है। इस योजना के तहत प्रदेश में अब तक 2127 गौठान बनाए जा चुके हैं। साथ ही आवश्यकता के अनुसार नवीन गौठान बनाए जाने की कार्यवाही की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई इस योजना के तहत गौवंश के संरक्षण एवं संवर्धन से जहां सैकड़ों ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिला है वही ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हुई है।

राज्य शासन द्वारा निर्मित किए जा रहे इन गौठानों में महिला स्व.सहायता समूहों द्वारा गोबर से गमले दिये जैविक खाद तथा जैविक कीटनाशक दवाईयां इत्यादि का उत्पादन किया जा रहा है। इससे एक ओर जहां ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो रही है वही ये समस्त उत्पाद इको फ्रेंडली होने के साथ.साथ उपयोगी भी साबित हो रही है।

अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा गौवंशीय तथा भैंसवंशीय पशुओं की नस्ल सुधार हेतु पशु चिकित्सा विभाग के माध्यम से अनेक योजनाएं संचालित की जा रही है। इन योजनाओं तथा पशु पालकों की उद्यमिता से प्रदेश में गौवंशी और भैंसवंशीय पशुओं की नस्ल में सुधार हुआ है। गाय का गोबर फसलों के लिए सबसे उत्तम खाद है। गाय का गोबर और गौमूत्र औषधि का काम करती है।

कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि मुर्रा भैंस पालतु भैंस की एक प्रजाति है जो दुध उत्पादन के लिए पाली जाती है। यह मूलतः पंजाब की नस्ल है किन्तु अब प्रदेश में भी पशु पालकों द्वारा इसे पाला जा रहा है। नस्ल सुधार हेतु मुर्रा भैंसे की भी देखरेख और संवर्धन अच्छे तरीके से की जा रही है। सारागांव के श्री शंकर लाल टण्डन द्वारा मुर्रा नस्ल के दो भैंसे बादशाह और कर्ण तैयार किए गए हैं जो किसान मेला 2018 में हरियाणा से लाए गए आकर्षण का केन्द्र रहे युवराज भैंस के समकक्ष है। इन भैंसों को तुलसी बाराडेरा में 23 से 25 फरवरी तक आयोजित होने वाले राष्ट्रीय कृषि मेला 2020 में प्रदर्शन के लिए लाया जाएगा।




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