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लघुकथा सृजन पर आधारित व्याकरण शाला का हुआ आयोजन

विभिन्न जिलों से जूड़े साहित्यकारों ने बनाया आयोजन को सफल

रायगढ़- काव्य संसद् डॉट आनलाईन के वाट्सएप समूह के साहित्यकारों के द्वारा साहित्य सृजन के लिए नवीन प्रयास करते हुए ऑनलाईन व्याकरण शाला का आयोजन किया। व्याकरण शाला का अर्थ है साहित्य सृजन के लिए विभिन्न साहित्यिक चर्चा-परिचर्चा आयोजित करना है । काव्य संसद् के मीडिया प्रभारी डिग्री लाल जगत निर्भीक ने बताया की काव्य सृजन के लिए समूह द्वारा विभिन्न प्रयास किये जा रहे है। उन प्रयासों में एक उत्तम प्रयास है व्याकरण शाला, जहाँ समूह के साहित्यकारों मे से एक के द्वारा रविवार के दिन एक विषय पर सारगर्भित व्याख्यान दिया जाता है। इस वर्ष ऐसी कुल 33 ऑनलाईन कक्षाएं आयोजित होगीं। जिसमें काव्य संसद् से जूड़े राज्य भर के समस्त साहित्यकारों द्वारा साहित्य के सृजन के गूर एक दूसरे से साझा किये जायेंगे।

द्वितीय व्याकरण शाला का आयोजन लघुकथा लेखन एवं सारगर्भित परिचय पर आधारित रहा, जिसमें काव्य संसद् डॉट ऑनलाईन साहित्य वेबसाईट के संस्थापक पुखराज यादव प्राज ने लघुकथा :एक परिदृश्य के विषय में व्याख्यान दिया। जिसमें लघुकथा सृजन, लघु की महत्ता, लघुकथा के प्रभाव, लघुकथा के प्रारूप पर विस्तारपूर्वक चर्चाएं हुई। साथ ही साहित्यकारों द्वारा व्याख्यान समापन के उपरांत, प्रश्नकाल के समय में लघुकथा सृजन के संबंध में विभिन्न प्रश्नोत्तर हुए।

इस अवसर पर मुख्य रूप से सुन्दर लाल डडसेना, डिग्रीलाल जगत निर्भीक, पुखराज यादव प्राज, कृष्ण कुमार ध्रुव, गोमती सिंह, विनोद कुमार, नागेश कश्यप, प्रवीण कुमार ठाकुर, प्रिया गुप्ता, सावित्री यादव, डीजेन्द्र कुर्रे, बिजेन्द्र अहीर, फरूण यादव, लक्ष्मण प्रसाद साहू, शैलेन्द्र चेलक, अजय पटनायक, नलिनी बाजेपयी, पदमा साहू, मीरा आर्ची चौहान, सीमा साहू सहित अन्य साहित्यकारों की ऑनलाईन उपस्थिति रही।




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