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नही थम रहा मनरेगा में फर्जीवाड़ा ? रोजगार सचिव चढ़ा रहे मनमानी मस्टररोल

जगन्नाथ बैरागी  कसडोल. एक ओर देश covid-19 के प्रकोप के खुद को बचाने में लगा है और शासन आम जनता के लिए अपना अपना खजाना लुटा रही है, वही दूसरी ओर शासन के रोजगार सचिव सरकार को लूटने का कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं कसडोल ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पंचायत झबड़ी की जहां के रोजगार सहायक के रूप में कार्य करने वाले गंगा प्रसाद चौहान द्वारा अपने माता पिता एवं दादी के नाम पर रुपये आहरित करने जा आरोप लगाया गया है।

इस बारे में हमारे संवाददाता जगन्नाथ बैरागी ने जब पता लगाया तो ग्रामवासियों ने स्पस्ट रूप से बताया कि रोजगार सचिव के माता-पिता लॉकडाउन   के वजह से बाहर फँसे थे लेकिन रोजगार सचिव ने उनके नाम पर फर्जी मस्टररोल चढ़ा कर उनके नाम से राशि आहरित कर ली है। एक पंच ने दावा किया कि रोजगार सहायक की दादी कभी भी रोजगार गारंटी में काम पर नही जाती फिर भी उनके नाम पर राशि आहरित कर लिया गया है।

रोजगार सहायक खेलते हैं मस्टररोल का खेल

रोजगार सहायक की नियुक्ति साशन द्वारा गरीबो के फायदे एवमं रोजगार सम्बंधित योजनाओं का क्रियान्वयन हेतु किया गया था, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में रोजगार सहायक ग्रामपंचायत के लूट का पर्याय बनते जा रहे हैं क्योंकि रोजगार गारंटी में हाजरी भरने का काम इनके हाथ मे होता है। वाजिब गरीब जनता को लाभ दिलाने के बजाए ये सारे फायदे अपने रिश्तेदारों या गाँव के सम्पन्न लोगों को दिलाते हैं जिनका ये जॉब कार्ड बनाये होते हैं। सबसे बड़ी दयनीय स्थिति तब होती है जब वो उसी गांव के वासिंदे होते हैं और उनकी पोस्टिंग भी अपने ही गांव में होती है।

तकनीकी सहायक भी खेल में शामिल?

जब इस बात की जानकारी तकनीकी सहायक हनी यदु से ली गई तो वो कुछ जवाब नही दे पा रहे है। सम्भव हैं वो भी इस खेल में शामिल हों या कमीशन प्राप्त होता हो।

जब मामले की जानकारी जिला पँचायत ceo श्री आशुतोष पाण्डेय तक पहुंचाया तो जिला पंचायत ceo ने दिलाया जांच का भरोसा दिलाया और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा देने के बात कही है।

पंचायत सचिव भी बेबस रहते हैं.

चूंकि इनकी पोस्टिंग अधिकतर इनके गाव में ही होती है सरपंच पंच सभी गांव के होते हैं । इसलिए इनकी दंबगई पँचायत सचिव पर भी होती है और ये बेचारे चाह कर भी कुछ नही कर पाते।

शासन को इस मसले पर जल्द ही ध्यान देना पड़ेगा वरना गंगाप्रसाद चौहान जैसे लोग गरीबो के हक का निवाला छीनकर आने रिश्तेदारों, सरपंच के घरवालों या गाव के बाहुबलियों को देते रहेंगे।





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