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एक मुलाकात खुद से....हेमलता पटेल की कलम से

आज मिली हूँ मैं ऐसे यूँ खुद से
जैसे वर्षो बाद मिली हूँ किसी से

कितना मुश्किल होता है खुद से खुद का मिलना
दुनिया का सबसे सच्चा इंसान होते हैं हम अपना

यहाँ जग सारा बैठे हुए हैं सब घूम कर
कभी बैठ खुद के पास देखो घूम कर
जो न मिला पाया ये जग सारा घूमकर
वो सहज ही मिल जाए एकांत बैठकर

मैं अक्सर लिखती हुँ कुछ-कुछ
परन्तु लिख नही पाती हूँ सब-कुछ
आसान कहाँ है लिख पाना सब कुछ
यूँ खुद को परिभाषित कर पाना कुछ
क्योंकि शब्दों की भी सीमाएं हैं कुछ

सफर में धूप तो है पर हौसले के छाँव है
अगर न चले कोई साथ तो क्या बात है
अपनी परछाई तो हमेशा हमारे साथ है

कितना भी मुश्किल क्यों न हो जीवन के रास्ते
चलने के लिए तैयार है हम मंजिलों के वास्ते
सब कुछ होकर भी कुछ कमी सा लागे
कुछ न होकर भी सब कुछ पूरा सा लागे
चल रही हुँ अकेली मुश्किल डगर सा लागे
मुश्किल डगर भी अपना हमसफर सा लागे
इन कांटो भरे सफर को पूर्ण कर लेंगे ऐसे
वर्षो के वनवास को पूर्ण कर लिए हो जैसे
गलती हुई मुझसे भी कई-कई बार है
पर उनसे सिख मिली मुझे हर बार है
हर गलती ने मुझे कुछ ऐसा सिखाया है
जो किसी  किताब में न लिखा पाया है
जीवन किताब के हर एक कोरे पन्नो में है
सिख छुपी हर एक जीवन के पन्नो में है
कभी सकारात्मक विचारों का घेरा
कभी अंतर्मन में है चिंताओं का डेरा
कभी खुद को नही समझ हुँ पाती
कभी किसी को नही समझा पाती
कभी खुद को अकेला हुँ मैं पाती
कभी लगता मेरे बहुत से है साथी
कभी काल्पनिकता से वास्तविकता में
कभी वास्तविकता से काल्पनिकता में
कभी उलझी यूँ ही सुलझी हुँ जीवन में

                नाम- हेमलता पटेल
               पिता-श्री धनेश्वर पटेल
        माता-श्रीमती दुलेश्वरी पटेल
                ग्राम-मैनपुर(खुर्द)
                ब्लॉक-मैनपुर(खुर्द)
      जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)






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