हाईकोर्ट ने निजी व्यक्तियों को सरकारी जमीन देने के आदेश पर रोक लगाई, मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य
शासन के उस आदेश पर जवाब तलब किया है, जिसमें निजी व्यक्तियों को 7500
वर्गफीट तक जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था। राज्य शासन को दो सप्ताह में
जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश पीआर
रामचंद्र मेनन व न्यायमूर्ति पीपी साहू की खंडपीठ में हुई। बिलासपुर के
भाजपा नेता सुशांत शुक्ला ने अधिवक्ता रोहित शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट
में जनहित याचिका प्रस्तुत की। मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अखिल भारतीय
उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन 2011 में पारित निर्णय का
हवाला देते हुए राज्य
शासन के आदेश को चुनौती दी। इसमें कहा कि राज्य सरकार 7500 वर्ग फीट तक भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिया था जो अवैध है। साथ ही 11 सितंबर 2019 को जारी आदेश को विधि विरुद्ध होने से निरस्त करने की मांग की। साथ ही याचिका के द्वारा आदेश के प्रावधान जिसमें बिना बोली लगाए, केवल आवेदन जमा करने के आधार पर भूमि आवंटन को निरस्त करने की मांग की। शेष|पेज 5
साथ ही न्यायालय का ध्यान इस ओर भी आकृष्ट कराया कि इस तरह से आवंटन से
भू-माफिया और उच्च आय वर्ग को ही लाभ मिलेगा। वहीं दूसरी ओर सामान्य वर्ग
वाले व्यक्ति इससे वंचित रह जाएंगे।
यह आदेश छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहित और छत्तीसगढ़ नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम
में उपबंधित प्रावधानों को भी ताख पर रखकर ऐसा विधि विपरीत आदेश केवल समाज
और एक वर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए जारी की गई है। साथ ही याचिका में
ऐसी शासकीय भूमि की सूची जो खाली है उसकी जिला एनआईसी के माध्य से भुईंया
साफ्टवेयर पर अपलोड नहीं कराने की भी जानकारी दी गई। इसके अलावा कोर्ट में
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 और समाजवाद व समता के अधिकार का
उल्लंघन बताया।
स्लम एरिया का रिकार्ड दिया
याचिका में बताया गया कि राज्य में 2001 के मुकाबले स्लम एरिया में वृद्धि
हुई है। जनगणना के अनुरूप बिलासपुर निगम क्षेत्र में 40 प्रतिशत जनसंख्या,
दल्लीराजहरा नगर पालिका परिषद में 73, रायपुर में 37, कोरबा में 34,
राजनांदगांव में 53 प्रतिशत जनसंख्या स्लम एरिया है।