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राजनीतिक विरासत के योग्य उत्तराधिकारी हैं उमेश पटेल..! जन्मदिन पर जानिए उनसे जुड़ी अनसुनी बातें...

जन्मदिन विशेष: धीर, गंभीर, सहज, व्यक्तित्व के साथ राजनीतिक दक्षता के धनी रायगढ़ जिला के पश्चिमी छोर मांड नदी के पार स्थित ग्राम नंदेली के प्रतिष्ठित परिवार स्वर्गीय महेंद्र सिंह पटेल गौटिया के वंशानुक्रम में छत्तीसगढ़ की राजनीति के दमकते सितारे रहे शहीद नंदकुमार पटेल एवं उनकी अर्धांगिनी निलावती के घर द्वितीय पुत्र रत्न के रूप में उमेश पटेल का जन्म 26 नवंबर 1983 को हुआ। घर में खुशहाली व उल्लास का संदेश लेकर आने वाले उमेश की प्रारंभिक शिक्षा नंदेली के प्राथमिक पाठशाला में ही संपन्न हुई ।तत्पश्चात रायपुर, भिलाई दुर्ग के उच्च शिक्षा तकनीकी संस्थाओं में अपनी आगे की पढ़ाई पूर्ण कर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में जॉब की शुरुआत की । वर्ष 2013 में 19 मई को आपके जीवन साथी के रूप में सुधा पटेल का पदार्पण हुआ और पारिवारिक दायित्व की ओर कदम बढ़ाने की तैयारी तो थी लेकिन विधि के विधान और भाग्य को कुछ और ही मंजूर था जिसने नंदेली के घर परिवार को खरसिया विधान सभा और पूरे छत्तीसगढ़ तक प्रसारित कर नई जिम्मेदारी का प्रभार सौंप दिया।

साफ्टवेयर इंजीनियर से राजनीतिक राह की बदली पटरी :-

25 मई 2013 के दिन प्रदेश में घटी एक अप्रत्याशित घटना ने उमेश पटेल को साफ्टवेयर इंजीनियरिंग पेशा छोड़कर राजनीतिक क्षेत्र में पदार्पण के लिए विवश किया । उमेश पटेल ने राजनीतिक झंझावातों, वर्तमान परिस्थिति के दोहरे चरित्र, मानसिक कुटिलता और राजनीतिक शह-मात से खुद को दूर रखते हुए एक प्रतिभावान सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में अपनी सेवा की शुरुआत 2006 से रोजगार के क्षेत्र में कदम रखा था और अपने पिता शहीद नंदकुमार पटेल अग्रज दिनेश पटेल के स्नेह आशीष से एक सुखद जीवन पथ पर अग्रसर हो रहे थे परंतु 25 मई 2013 की अप्रत्याशित और हृदय विदारक नक्सली हमले की घटना ने सब कुछ तहस-नहस कर उमेश पटेल के जीवन की दिशा और दशा दोनों को बदल दिया ।

परिवार और विधान सभा क्षेत्र दोनो की सम्हाली जिम्मेदारी :-

युवा उमेश पटेल के समक्ष जिस प्रकार की परिस्थिति उत्पन्न हुई उसमें दोहरी जिम्मेदारी का जन्म हुआ । प्रथम तो पिता के विरासत और खरसिया विधानसभा क्षेत्र के जनाकांक्षा को संभाल कर सुरक्षित रखना और दूसरी जिम्मेदारी थी परिवार पर आए असहनीय बज्राघात से खुद के साथ परिवार को भी उबाारना और सम्हालना । इस विषम परिस्थिति ने युवा मन और स्वप्न दृष्टा मस्तिष्क, सहज सरल हृदय को झकझोर कर रख दिया परंतु उमेश ने जिस दृढ़ता, धैर्य और आत्मबल के साथ परिस्थिति को अनुकूल बनाया वह उनके साहसिक, परिपक्व और धीर गंभीर व्यक्तित्व का परिचायक बना ।

सबसे युवा और जागरूक विधायक की पहचान :-

अपने पिता की तरह राजनीतिक सूझबूझ, जनभावना को समझ कर उनकी समस्याओं के निदान की दिशा में गंभीर, सहज मुस्कान जैसे व्यक्तित्व को अपने भीतर संभाल कर रखने वाले उमेश नंदकुमार पटेल रायगढ़ जिला ही नहीं छत्तीसगढ़ प्रदेश के सबसे युवा विधायक एवं प्रभावशाली शख्सियत के रूप में अपनी राजनीति की यात्रा की शुरुआत करने वाले युवाओं के सबसे प्रिय तथा ऊर्जावान जनप्रतिनिधि के रूप में प्रतिष्ठित हुए हैं। 2013 के विधानसभा आम चुनाव में खरसिया की जनता ने भरपूर स्नेह और दुलार के साथ उमेश पटेल को विधायक चुनकर छत्तीसगढ़ के सर्वाधिक मत प्राप्त करने वालों में उनका नाम जोड़ दिया और तब से अपने पिता नंदकुमार की विरासत को खरसिया क्षेत्र की जनता की आकांक्षा अनुरूप संभालते हुए एक सजग जनप्रिय सक्रिय लाडले दुलारे सबके चहेते जनप्रतिनिधि के रूप में अपनी पहचान बना चुके हैं ।

विधान सभा मे प्रश्न पूछने का बनाया रिकार्ड :-

उमेश पटेल अपने विधायकी के दौरान चुनौतियों के भरमार, जनता के उम्मीदों की भंडार और कठिन परिस्थितियों के प्रहार को खड़ा पाया था विपक्ष में रहकर क्षेत्र की जन भावना को सम्मान करते हुए उम्मीदों पर खरा उतरने में की अग्नि परीक्षा में सफल रहे और एक जागरूक विधायक के रुप में विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई । जनता के साथ सतत संपर्क में रहकर विधानसभा में सत्तासीन सरकार की खामियों को उठाते हुए सरकार को घेरने में विधायक उमेश पूरी तरह सफल रहे अपने पिछले कार्यकाल में वे विधानसभा में सबसे अधिक सवाल करने वाले विपक्ष के विधायक होने का भी रिकार्ड अपने नाम किया जो एक सजग जनप्रतिनिधि का प्रमाण है। इस प्रकार अपने पिता शहीद नंदकुमार पटेल के पद चिन्हों पर चलकर उनकी रिक्तता को भरपाई करने देश व प्रदेश की राजनीति में अपनी नाम व पहचान को स्थापित करने में आप सफल रहे ।

अग्नि परीक्षा के कठिन दौर में धैर्य के साथ बने विजेता :-

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में जबरदस्त चुनौती और घेराबंदी का सामना करते हुए उमेश पटेल ने खरसिया विधानसभा में अपनी जीत से एक नया इतिहास रचते हुए यह सिद्ध कर दिया कि जनता के बीच सतत संपर्क और पारिवारिक संबंध ने उनके मनोबल को बढ़ाया है तथा प्रतिकूल स्थिति में भी विचलित ना होकर धीर गंभीर व्यक्तित्व को संभालते हुए एक कुशल जनप्रतिनिधि के रूप में अपने आप को प्रतिष्ठित करने में ऐतिहासिक सफलता भी हासिल की। प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार के मंत्रिमंडल में उच्च शिक्षा तकनीकी शिक्षा कौशल विकास एवं खेल एवं युवा कल्याण से संबंधित विभागों की जिम्मेदारी के साथ उमेश पटेल जी को सबसे युवा मंत्री होने का भी गौरव हासिल है । आज उमेश पटेल उच्च शिक्षा और युवाओं के कौशल विकास , प्रदेश मे खेल व तकनीकी उत्थान की नई संभावनाओं के लिए अपनी ऊर्जा को समर्पित कर मंत्रालय में भूमिका निभा रहे।

वि.वि. की स्थापना : शहीद पिता को सच्ची श्रद्धांजलि :-

रायगढ़ में अपने शहीद पिता के नाम पर विश्व विद्यालय की स्थापना उनके कार्यकाल की अहम उपलब्धि के रूप में इतिहास बन चुका है। फिलहाल वे अपने जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में अपनी पूरी दक्षता से जुटे हुए हैं आलोचना प्रत्यालोचना से स्वयं को स्थिर रखते हुए अपनी धीर गंभीर कार्यशैली के लिए जनता के बीच जाने जा रहे उमेश को लेकर लोगों में एक उम्मीद बनी हुई है वह अपने पिता की अधूरे सपने को पूरा करते हुए जनमानस के बीच सुचिता और क्षमता की राजनीति को स्थापित करने में सफल होंगे तथा छत्तीसगढ़ में विकास के नए मापदंडों को स्थापित करने के साथ मजदूर, किसान युवा एवं उद्यमी व व्यापारियों को भी उनके हितों की संरक्षण के लिए साथ देने में अग्रणी रहेंगे ।




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