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पिथौरा : महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने वर्कशाॅप के माध्यम से सीडीपीओ एवं पर्यवेक्षकों को बताया खुश रहकर कार्य करने के तरीके

हैप्पीनेस एक मेन्टल स्टेट है जिसको स्व-प्रशिक्षण से बढ़ाया जा सकता है: बोदले

पिथौरा के ग्राम टेका के आंगनबाड़ी केन्द्र में एक दिवसीय जिला स्तरीय हैप्पीनेस वर्कशॉप का हुआ आयोजन

महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा जिले के परियोजना अधिकारी और पर्यवेक्षकों के लिए एक दिवसीय जिला स्तरीय हैप्पीनेस वर्कशॉप का आयोजन पिथौरा विकासखण्ड के आॅगनबाड़ी केन्द्र टेका में किया गया। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी श्री सुधाकर बोदले ने वर्कशाॅप के माध्यम से बताया कि हैप्पीनेस एक मेन्टल स्टेट है, जिसको स्व-प्रशिक्षण से बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने वर्कशाॅप में पहले सभी प्रतिभागियों से उनका पिछले सप्ताह कैसा बीता, कितनी खुशी से बीता ये तीन मिनट में लिखने कहा। इसके उपरांत विस्तार से चर्चा की गई।

इसके बाद प्रतिभागियों से उन चीजों के बारे में पूछा गया जो वे अपने जीवन में लांग टर्म और शार्ट टर्म में पाना चाहते हैं। चर्चा का निष्कर्ष यह रहा कि हम जिन्दगी में जो भी पाना चाहते हैं उसका अंतिम ध्येय खुशी पाना ही है। इसके बाद बाहरी साधनों से मिलने वाली खुशी और आंतरिक खुशी की चर्चा की गई। इसका सार बाहरी साधनों से मिलने वाली खुशी की अवधि बहुत कम होता है और आंतरिक खुशी अधिक स्थाई होती है।

बोदले ने प्रशिक्षणार्थियों को आंतरिक खुशी को और किस प्रकार अधिक बढ़ा सकते हैं।  इस संबंध में विस्तार पूर्वक बतातें हुए कहा कि हमें सुबह के दिनचर्या में फिजिकल वर्कआउट, मोटिवेशनल बुक रीडिंग, थॉट्स राइटिंग, मैडिटेशन जैसे अन्य कार्य को भी शामिल करना चाहिए। व्यक्तिगत और प्रोफेशनल जिन्दगी में दृढ़ लक्ष्य निर्धारित कर खुशी हासिल की जा सकती है। व्यक्तिगत और प्रोफेशनल लाईफ में एक-दूसरे का आपसी सहयोग कर खुशी प्राप्त की जा सकती है। जिन्दगी में हमें प्रत्येक दिन खुश रहकर सक्रिय तरीक से कार्य करने से हमारा हैप्पीनेस इंडेक्स उतना ही और अधिक बढ़ते जाता है।




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