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11 बहुओं ने बनवाया सास का मंदिर, सोने के गहनों से किया श्रृंगार, रोज करती हैं पूजा

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में एक परिवार की 11 बहुओं ने मिलकर ऐसा काम कर दिखाया है। जिसके बारें में आज तक न तो किसी ने सुना होगा और न ही देखा होगा। उन्होंने सास-बहु के रिश्ते की एक नई परिभाषा ही लिख दी है। जिस किसी को भी इस परिवार की बहुओं के काम के बारें में पता चल रहा है। वो भर-भर के दुवाएं दे रहा है।

शहर में हर तरफ इस परिवार की चर्चा है। जो भी बहुओं के काम में बारें में सुन रहा है वो बस एक ही बात कह रहा है कि ऐसी बहुएं सभी को नसीब हैं। जो घर को मंदिर और स्वर्ग दोनों बना दें। तो आइये जानते हैं आखिर इन बहुओं ने ऐसा कौन सा बड़ा कारनामा कर दिखाया है। जिसकी बड़ाई करते लोग थक नहीं रहे हैं। हर तरह बस तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है।

11 बहुओं ने मिलकर बनवाया सास का मंदिर, करती हैं पूजा

बिलासपुर जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर बिलासपुर-कोरबा मार्ग पर रतनपुर गांव हैं। यहां रहने वाली 11 बहुओं ने अपनी सास का मंदिर बनवाया है। साथ ही, उसका श्रृंगार सोने के गहनों से किया है और रोजाना पूजा-आरती भी करती हैं।

ये सभी बहुएं महीने में एक बार मंदिर के सामने बैठकर भजन-कीर्तन भी करती हैं। जिस किसी को भी इस मंदिर के बारें में पता चलता है वो इसे देखने से खुद को रोक नहीं पाता है। दूर-दूर से लोग इस मंदिर को देखने के लिए आते हैं। इस मंदिर की ख्याति दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।

किसके नाम पर बना है ये मंदिर और क्या है इसकी कहानी

ये मंदिर गीता देवी का है। इस मंदिर को उनकी 11 बहुओं ने मिलकर 2010 में बनवाया था। लोगों का कहना है कि जब वह जीवित थीं तो अपनी सभी बहुओं से बेहद प्रेम करती थीं और उन्हें अपनी बेटियों की तरह स्नेह करती थीं।

इसके अलावा उन्होंने अपनी सभी बहुओं को पूरी आजादी दे रखी थी। बहुएं भी मां की तरह उनका आदर करती थी। सास से उन्हें बेहद लगाव था। इसलिए उनके निधन के बाद उनकी याद में उन्होंने ये मंदिर बनवाया था।

यहां जानें गीता देवी के परिवार के बारें में

गीता देवी के पति का नाम शिवप्रसाद तंबोली है। वह रिटायर्ड शिक्षक हैं। उनका संयुक्त परिवार रतनपुर गांव में रहता है। इस परिवार में कुल 39 सदस्य हैं, जिनमें 11 बहुएं हैं। साल 2010 में गीता देवी का निधन हो गया था।

गीता के पति शिव प्रसाद के मुताबिक उनकी पत्नी के अच्छे संस्कारों की वजह से उनका पूरा परिवार आज भी एक जुट है। उनके परिवार में कभी कोई विवाद या किसी भी तरह का कोई भी झगड़ा नहीं हुआ है।

सब आपस में एक-दूसरे से सलाह लेकर ही कोई भी काम करते हैं। बहुओं ने अपनी सास की याद में इस इस मंदिर को बनवाया है। उन्होंने अपनी सास की मूर्ति का श्रृंगार सोने के गहनों से किया है। यहां पूजा और भजन-कीर्तन भी करती हैं।

क्या कहते हैं लोग

इस परिवार की बहुओं ने अपने काम की वजह से गांव के लोगों के दिल में एक अलग स्थान बना लिया है। गांव के लोग बहुओं की तारीफ़ करते नहीं थकते हैं। चाय की दुकान से लेकर चौराहे पर बस गीता देवी के परिवार की सुबह शाम चर्चा होती है।

लोग बताते हैं कि गीता देवी की सभी बहुएं उनके मंदिर में रोजाना पूजा-अर्चना करती हैं। इसके अलावा हर महीने भजन-कीर्तन भी किया जाता है। गांव और आसपास के लोग गीता देवी और उनके परिवार की एकता की मिसाल देते हैं।

उनका कहना है कि आज के दौर में सास-बहू का ऐसा प्यार कहीं और देखने को नहीं मिलता है। गीता देवी और शिवप्रसाद का परिवार ऐसी बहुओं को पाकर धन्य हो गया है। ऐसी बहुएं तो किस्मत वालों को ही मिलती हैं।




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