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महेन्द्र पसायत की 20वीं काव्य संग्रह का हुआ विमोचन

विगत अठारह वर्षों की भाँति गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर स्थानीय कलमकार महेन्द्र पसायत के काव्य संग्रह का विमोचन किया गया।महेन्द्र पसायत 2003 से प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस पर देश को समर्पित व देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं का काव्य संग्रह प्रकाशित करते रहे हैं।इस वर्ष भी "जिंदगी वतन है- वतन है जिंदगी" काव्य संग्रह का विमोचन मुख्य अतिथि सी.एम.प्रधान व विशिष्ट अतिथि एस.के.पसायत के कर कमलों से किया गया।मुख्य अतिथि सी.एम.प्रधान ने कहा कि प्रतिवर्ष गण पर्व पर लोगों में देशभक्ति की भावना जागृत करने व सराईपाली अंचल में साहित्य की अलख जगाये रखने का प्रयास काफी सराहनीय है।

विशिष्ट अतिथि एस.के.पसायत ने कहा कि पिछले 19 वर्षों से गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य पर देशभक्ति से ओतप्रोत रचनाओं से भरपूर रचनाओं का काव्य संग्रह प्रकाशित करवाना गर्व की बात है,एक कलमकार के नाते समाज को जगाने का प्रयास व निरंतर लेखन उनकी जीवटता को इंगित करता है।पुस्तक की समीक्षा करते हुए सुन्दर लाल डडसेना"मधुर"ने कहा कि-महेन्द्र पसायत की रचनाएँ - "माटी की सुगंध ,देशभक्ति का नाम,वतन से प्यार मोहब्बत वंदेमातरम का गान" गाती हैं, उनकी लेखनी को देखकर एक बात कहना पड़ेगा- "पता नहीं उन्हें किस चीज की कसक या गम है,देशभक्ति ही लिखते हैं,उनकी लेखनी में दम है।उनकी सभी 20 काव्य संग्रह को पढ़ने के बाद उनकी कविताओं के संबंध में ये बात सौ प्रतिशत सच लगती है- "आस-विश्वास जगाने वाली,हौसलों की उड़ान उड़ाने वाली,उम्मीदों के दीये जलाकर,देशभक्ति की अलख जगाने वाली।

इस अवसर पर मौनतीर्थ पीठ उज्जैन द्वारा प्रकाशित वार्षिक कैलेंडर का वितरण डॉ.अनिल प्रधान प्रांतीय सचिव  मौनतीर्थ पीठ छत्तीसगढ़ के द्वारा किया गया।इस काव्य संग्रह के विमोचन अवसर पर लखेश्वर भोई विकासखंड क्रीड़ा अधिकारी सराईपाली, डॉ.अनिल प्रधान,सुन्दर लाल डडसेना"मधुर",यशवंत चौधरी,अमर सतपथी,शुभ्रा डडसेना,राकेश साहू,नंदलाल यादव,नरेश शर्मा,खिरोद्र साहू,नंदलाल उपस्थित रहे और महेंद्र पसायत जी को बधाई दी।कार्यक्रम का संचालन शुभ्रा डडसेना व आभार प्रदर्शन महेन्द्र पसायत ने किया।




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