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ग्राम फर्सवानी में होगा एकादशी उद्यापन..आस-पास के श्रद्धालु भी हो सकेंगे शामिल....

व्रत एक तप है तो उद्यापन उसकी पूर्णता...
एकादशी व्रत का हिन्दू धर्म मे बहुत महत्व होता है। कहा जाता है कि यह व्रत समस्त पापों को नष्ट कर पुण्य की प्राप्ति दायक होता है। श्रद्धालु इस व्रत को अपने संकल्प अनुसार एक वर्ष, सात वर्ष, ग्यारह वर्ष या अधिक तक सामर्थ्य अनुसार रखते हैं।संकल्प प्राप्ति के पश्चात पूरे विधि विधान के साथ इस व्रत का उद्यापन करके व्रत को पूर्ण किया जाता है, तभी इसका फल प्राप्त होता है।

कब होता है उद्यापन:-
मुख्यतः भक्तगण इस महाव्रत का उद्यापन मार्गसीर्ष माह के शुक्ल पक्ष के एकादशी के दिन करते है, इस तिथि को उद्यापन हेतु सबसे शुभ माना जाता है। जिसमे एकादशी को पूजा, व्रत,जागरण होता है तथा द्वादशी को हवन ब्रम्हनभोज तथा दान इत्यादि किया जाता है।

23 फ़रवरी मंगलवार को होगी कलश यात्रा एवं पूजा:-
हिन्दू धर्म मे कलश यात्रा का विशेष महत्व होता है कि सिर्फ कलश यात्रा में शामिल होकर व्यक्ति वर्ष भर का पुण्यफल प्राप्त कर लेता है।कलश एक विशेष आकार का बर्तन होता है जिसका धड़ चौड़ा और थोड़ा गोल और मुंह थोड़ा तंग होता है. पौराणिक मान्यता के5 किसका कहा होता है बास पुराणों के अनुसार कलश के मुख में विष्णुजी का निवास, कंठ में महेश तथा मूल में ब्रह्मा स्थित हैं और कलश के मध्य में दैवीय मातृशक्तियां निवास करती हैं. इसलिए पूजन के दौरान कलश को देवी-देवता की शक्ति, तीर्थस्थान आदि का प्रतीक मानकर स्थापित किया जाता है.

अतः कलश यात्रा में सिर्फ गाँव ही नही अपितु दूर-दराज से भी महिलाएं सम्मिलित होती हैं।

24 को होगा हवन,भंडारा और दान:-
किसी भी यज्ञ के समापन में हवन तथा दान एवं प्रसादरूपी भंडारे का विशेष महत्व होता है, उपरोक्त कार्यक्रम बुधवार को सम्पन्न होगा।
आस-पास के भक्तगण एवं श्रद्धालुओं भी होंगे शामिल...इस आयोजन के यजमान श्री गौरीशंकर साहू ने मीडिया को बताया कि यह कार्यक्रम भगवान के सभी भक्तों के लिए है, इस यज्ञ में काफी खर्च की भी संभावना रहती है।यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से शक्षम नही है वो भी सम्पर्क कर साथ मे उद्यापन कर सकते हैं, किसी को मनाही नही है।
क्योंकि लाख दान करने की अपेक्षा किसी गरीब की मदद से भगवान ज्यादा खुश होते है।




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