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मुक्तिधाम से ईश्वर के घर तक पहुंचने के रास्ते मे भी कलयुग में भ्रष्टाचार..... सांसद महोदय के गृह-ग्राम में ऐसा तो बाकी जगह कैसा...!

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना केंद्र प्रायोजित एक महत्वकांक्षी योजना है, जिसे लागू करने की ज़िम्मेदारी ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं राज्य सरकारों को दी गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क परियोजना के तीसरे चरण के तहत देश भर में सड़कों का नेटवर्क स्थापित कर रिहायशी क्षेत्रों को ग्रामीण कृषि बाजारों, उच्‍च माध्‍यमिक विद्यालयों तथा अस्‍पतालों एवं अन्य जरूरतमंद स्थानों को ग्रामीण क्षेत्रों की प्रमुख संपर्क सड़कों से जोड़ा जाना तय है। इसके अंतर्गत 1,25,000 किलोमीटर लंबी सड़कें बनाने की योजना है जिसकी अनुमानित लागत लगभग 80,250 करोड रुपए है। इससे ग्रामीण कृषि बाजारों, उच्‍च माध्‍यमिक विद्यालयों तथा अस्‍पतालों से आवाजाही तीव्र एवं सुविधाजनक हो जाएगी।
परन्तु जब यह योजना सम्बंधित ब्लॉक् से पँचायत स्तर पर पहुंचता है तो किस कदर दुर्गति होती है इसका अंदाजा भौतिक मूल्यांकन करने पर ही पता चल पाता है।

हम बात कर रहे हैं सारंगढ जनपद के अंतर्गत आने वाले सांसद महोदय के ग्राम छोटे खैरा की जहां ईश्वर घर से मुक्तिधाम तक पहुंचने के लिए सी.सी. रोड निर्माण किया गया है।
जिसकी कार्य एजेंसी सरपँच ग्राम पंचायत खैरा छोटे है।
यह निर्माण कार्य वर्ष-2020-21 में स्वीकृत की गई थी , जिसके बजट हेतु 10 लाख रुपये स्वीकृत की गयी थी।
परन्तु सूक्ष्मता से जांच की जाये तो उपरोक्त निर्माण कार्य मे आधे राशि का भी उपयोग किया गया हो तो बहुत है।

जब इस भ्रष्टाचार की सूचना हमारे संवाददाता को ग्रामीणों द्वारा बार बार दिया गया तो हमारे संवाददाता ने भौतिक सत्यापन हेतु ग्राम छोटे खैरा का रुख किया, तथा ग्रामीणों के कहे अनुसार उपरोक्त सीसी रोड को देखने गये तो प्रथम दृष्टया ही निर्माण बोर्ड पर नजर गयी।

नियमानुसार उसमें दूरी अंकित करना अनिवार्य रहता है परंतु आनन फानन में लगाये बोर्ड में सरपँच ने दूरी दर्शाना भी उचित नही समझा है।
जब नज़र स्वीकृत राशि और उस राशि से निर्मित सीसी रोड़ पर गयी तो मामले को समझते देर नही लगी की किस तरह सरकारी राशि का दुरुपयोग किया गया है।

सरपंच मोहरमती नही पति प्रदीप साहू चलाते हैं पंचायत..!

सरकार ने महिलाओं को समाज मे आगे बढाने के उद्देश्य से हर क्षेत्रों में आरक्षण प्रदान किया है ताकि उनमे समानता का भाव उत्तपन्न होने के साथ महिला सशक्तिकरण को जोर मिले परन्तु 90 प्रतिशत पंचायतों में पुरूष महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका ही नही देते।
जब ग्रामीणों से पँचायत संचालन हेतु जानकारी ली गयी तो बताया गया सरपँच मोहरमती सिर्फ चेहरा हैं बाकी समस्त दखल पति प्रदीप साहू और देवर अनिल साहू की रहती है।

सरपँच पति दिखाते है पत्रकार होने का रौब और कहते हैं खुद को डॉक्टर...!
लोगों की माने तो सरपँच पति प्रदीप साहू खुद को डॉक्टर और पत्रकार बताकर सब पर अपना रौब डालते हैं। और कई लोग उनके पहुंच को देखकर कुछ भी लिखने से कतराते हैं. ! जिससे उनका हौसला बढ़ा हुवा है। और जब कोई कुछ लिखने को तैयार नही तो भला भोले-भाले ग्रामीणों की क्या मजाल जो इन डॉक्टर, और तथाकथित पत्रकार साहब से उलझें।

देवर अनिल साहू दिखाते हैं जनपद पँचायत और नेताओं तक पहुंच..!
ग्रामीणो की माने तो शिकायत करने पर सरपँच देवर अनिल साहू द्वारा जिसको जहां जाना है जाऒ जिस पत्रकार को बताना है बताओ कहकर रौब दिखाया जाता है। उनका कहना भी सही है अनिल साहू पूर्व में कई बार पंच रहकर पंचायत के नस-नस से वाकिब हो चुका है। तथा जनपद पंचायत में कैसे काम होता है उसकी भी यथोचित जानकारी साहब को प्राप्त है जिसके बल पर मैं निपट लूंगा की धमकी देते रहता है।

अमानक पूर्ण कार्य को पास करने वाले इंजीनियर से लेकर आला अधिकारी भी नही हैं दूध के धुले:-
अगर प्रथम दृष्टया हम सिर्फ सरपँच या पँचायत को दोषी मान ले तो इस रोड को पास करने वाले इंजीनियर साहब तो इनसे भी चार कदम आगे निकले जिन्होने सीसी रोड के मापदंड को ही चढ़ावे में मोटी रकम लेकर बदल दिया।

जिस मोटाई की रोड बनाने का नियम है उसे तो चढ़ावा मिलते ही बदल दिया..और "कोर कटिंग" वाली जगहों को छोड़कर अन्य जगह पर कोई कम पढ़ा लिखा व्यक्ति भी इंजीनियर साहब को इंच की गिनती बता देगा।और ऐसे भावी इंजीनियरो से विकास कितना सम्भव है ये भी सरकार को अब सोचना पड़ेगा।

रहो एफआईआर के लिए तैयार..!

तुम सच उजागर करो हम करेंगे अवैध वसूली मामले में एफआईआर की लहर सारंगढ़ में तेज़ है। जहां एक भी भ्रष्टाचार को लिखने या बोलने की हिम्मत करना मतलब खुद की जिंदगी पर कुल्हाड़ी मारने के बराबर है। हमारे संवाददाता भी इनसे छुटे नही की उन पर कोई साजिश न हो। परन्तु हर पत्रकार अगर डर कर बैठ जाये तो शिकायत कर्ता और ग्रामीणों का संविधान के चौथे स्तम्भ पर से विश्वास ही उठ जाएगा, अतः जो देखेंगे हम वही लिखेंगे। अब सत्ता और कलम किसकी जीत होती है ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

ये तो पँचायत द्वारा किया सबसे कम भ्रष्टाचार की कहानी है आगे का कारनामा इससे भी सुपर हिट है-




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