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जंगली हाथी से सारंगढ़ अंचल त्रस्त, पर लापरवाह वन विभाग मोबाईल, सोने और दारू पीने में मस्त...

आज विगत 4 दिनों से सारंगढ़ ब्लॉक में सिर्फ 1 ही चीज की बात चल रही है वो है हाथी और उसके बच्चे की..3 दिन में 2 व्यक्ति को मौत के घाट उतार चुके हाथी का कहर इस कदर सर चढ़ कर बोल रहा है कि लोग गाँव मे रतजगा करने को मजबूर हो रहे हैं।और हों भी क्यों न जब इसी हाथी ने ग्राम मलदा (अ) और कल गोड़िहारी के एक युवा को दर्दनाक मौत जो दिया है। उनके परिवाजनों को हुवी तकलीफ को आम आदमी भी महसूस कर सकता है , लेकिन गैर जिम्मेदार कुछ वन विभाग के सरकारी मुलाजिम नही..!

फॉरेस्ट विभाग के जिम्मेदारों को शराब पीने, सोने या मोबाईल से फ़ुर्सत नही :-
पूरा सारंगढ़ इस उम्मीद पे वन विभाग की ओर टकटकी लगाकर देख रहा है कि वन विभाग उनकी जान बचाएगा.. क्योंकि वो ये सब की ट्रेनिंग लिए रहते हैं.. उनको इस स्थिति से निपटने की भली भांति प्रशिक्षण दिया गया रहता है। लेकिन यहाँ के रेंजर को दारू की अहमियत लोगों के जान से ज्यादा है।कोई मोबाइल में घुसकर गेम या विडियो देखने मे मस्त है, तो किसी को भरी दोपहरी में सोने से फुर्सत नही है।और ऐसे कर्मवीरों से सारंगढ उम्मीद लगाए बैठी है जो कि सरासर उमीदों पर पानी फिराने में आतुर हैं।


जानमाल के नुकसान के जिम्मेदार कौन?..और वेतन के हकदार कौन...

अब इस पर एक सवाल उठना लाजमी है कि अगर वह विभाग इस कदर लापरवाही बरतने लगे और भगवान न करे फिर किसी निर्दोष की जान माल की नुकसान हो तो फॉरेस्ट विभाग के इन मुलाजिमों की आवश्यकता ही क्या है..! और इनके ऊपर हज़ारों वेतन लुटाने की जरूरत क्या है..!ये तो राहत की बात है कि सिर्फ एक हाथी ने चैन हराम कर दी है अगर हाथियों का झुंड रहता तो सरंगढ़वासियों का क्या हश्र होता ये सोचकर ही रूह कांप जाती है।





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