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कोरोनकाल में मजदूरों के लिए प्राण संजीवनी बन रहा मनरेगा...पंचायत प्रतिनिधियों की जागरूकता और मनरेगा टीम की सक्रियता से मजदूरों को मिल रहा रोज़गार....

ग्रामीण लोगों की आमदनी को बढ़ाने के लिए तथा मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में रहने वाले लोग महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत कार्य कर सकें और अपनी रोजी रोटी कमा सकें। विशेष करके महिलाओं को मनरेगा के तहत जोड़ने का कार्य मनरेगा के माध्यम से किया गया है, सभी को आत्मनिर्भर बनाना ही मनरेगा का उद्देश्य है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को न्यूनतम आय पर काम मिल जाए और उन्हें अपना घर-बार छोड़कर किसी अन्य स्थान पर ना जाना पड़े, इसलिए इस योजना को शुरू किया गया है।

कोविड-19 के चलते लाकडाउन के बावजूद मनरेगा के अंतर्गत तत्परता से शुरू हुए कार्यों से ग्रामीणों को बड़ी संख्या में सीधे रोजगार मिल रहा है। मनरेगा कार्यों ने विपरीत परिस्थितियों में भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एक तरफ पूरा विश्व महामारी से जूझ रहा है आर्थिक संकट सुरसा की तरह मुंह खोल खड़ी है, उस दौर में भी गरीबों का सहारा बन रहा है मनरेगा। एक ऐसा सहारा जिससे गरीबों को इस बीमारी और भूख दोनो से लड़ने की शक्ति मिल रही है। मनरेगा में कई प्रकार से कार्य किए जाते हैं और इन्हीं कार्यों के लिए ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को काम दिया जाता है:- गौशाला निर्माण कार्य,वृक्षारोपण कार्य,आवास निर्माण कार्य,मार्ग निर्माण कार्य,चकबंध कार्य, सिंचाई कार्य आदि अनेकों कार्य मनरेगा के अंतर्गत कराए जाते हैं।

फर्सवानी में कोविड नियमों के तहत कराया जा रहा कार्य-

मनरेगा कार्यों और इससे गरीबों को मिल रहे फायदों के तहत जब ग्राम पंचायत फर्सवानी का रुख किया गया तो वहां कोविड नियम के पालन करते सभी मजदूर कार्य करते पाये गये। शोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते मास्क और गमछा(कपड़ा) बांधकर मजदूर कार्य कर रहे थे। सरपँच गंगाराम सिदार ने बताया कि मनरेगा से मजदूरों के परिवारों पर आने वाली आर्थिक संकट से निजात पाया जा सकता है। सभी मजदूरों को हमारे द्वारा कोविड नियमों के पालन हेतु निर्देशित किया गया है। जिन मजदूरों के पास मास्क नही है उन्हें पँचायत द्वारा मास्क दिया गया है, तथा कई मजदूर मास्क के स्थान पर गमछे का प्रयोग कर रहे हैं, क्योंकि इससे चेहरा पूरी तरह ढंका रहता है और मजदूर भाइयों को धूप से भी बचाव हो जाता है। इस कार्य मे उपसरपंच भानुप्रताप पटेल,समस्त पंचगण, सचिव पटेल, रोजगार सहायक भोगीलाल सिदार सभी का विशेष योगदान है।

पेट की लड़ाई तो जीत लिए अब कोरोना की लड़ाई भी हम ही जीतेंगे- ग्रामीण

जब इस बाबत कुँवरमती, समारीन, शोभाराम, समयलाल, कुंज्जल, आँगनमती से कोरोनकाल में मनरेगा कार्य के महत्व के बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि इस संकटकाल में भी सरकार हम गरीबों के बारे में सोच रही है ये सबसे बड़ी बात है। भूख और परिवार से बढ़कर हम गरीबो के लिए कुछ नही है। गरीब बीमारी से मरे या बचे लेकिन भूख से जरूर मर जायेगा..! मनरेगा के सहारे से भूख की लड़ाई तो जीत रहे हैं एकदिन वैक्सीन लगाकर, कोविड नियमो के पालन करते हुवे कोरोना से भी लड़ाई हम ही जीतेंगे।




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