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एक विभाग ऐसा भी,जहां भरी दोपहरी में ही होता है काम, भले ही जनता हों परेशान..! अघोषित कटौती पर दिन में तारे दिखाने में माहिर है विभाग..!

रायगढ़। एक ऐसा विभाग जहां कोई भी कार्य दोपहर में ही होता है। चाहे काम मिनटों का हो या घण्टो काम तो होगा तो दोपहर में ही, और एक गांव के कार्य के लिए पूरे फीडर का लाइट जब तक बन्द न करें तो भला इन्हें चैन कैसे मिले..? क्योंकि सरकारी काम जो है तो भला कैसे सुबह या धूप ढ़लने के बाद हो..! अगर बात सारंगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों की हो तो फिर कहने ही क्या..!
जहाँ मेंटेनेंस कार्य हो या ट्रांसफार्मर लगाना या कोई भी छोटे-बड़े कार्य बिना पूर्व सूचना के मनमानी ढंग से किया जाता है वो भी दोपहर में ही। और जब कोई ग्रामीण लाइन आने के इन्तज़ार से थक हार कर घण्टो बाद जानकारी मांगते हैं तो कर्मचारीयों का मोबाइल बन्द बताता है,या फोन रिसीव ही नही किया जाता। और अगर कोई लाइन मेन फ़ोन उठा भी लें तब बताया जाता है कि हम फ़लाना कार्य हेतु कटौती किये हैं।

पूर्व सूचना देना उचित नही समझते कर्मचारी-

अधिकारी तो अधिकारी कर्मचारियों के भी अलग ही रोला रहता है विद्युत विभाग में। हम बात कर रहे हैं बन्धापाली/फर्सवानी फीडर की जहां अघोषित कटौती पर ग्रामीणों को बार-बार फोन कर जानकारी हेतु परेशान होना पड़ता है। जबकि नियम कहता है कि अगर आधा घण्टा भी लाइट की कटौती होनी हो तो क्षेत्र में पूर्व सूचना देना अनिवार्य है। यह सूचना किसी लोकल अखबार/न्यूज़ चैनल अथवा शोशल मीडिया के द्वारा देना अनिवार्य है, लेकिन बिजली विभाग में तो नियम भी अधिकारी ही बनाते हैं..! जहां पूर्व सूचना कटौती करना मानो खुद की तौहीन समझते हैं..?

सवाल से पीछा छुड़ाने का एक ही बहाना कोतरी से कुछ प्रॉब्लम है-

जब किसी समस्या हेतु जानकारी चाही जाती है तो कर्मचारीयों का एक ही रटा-रटाया जवाब मिलता है कि कोतरी से लाइट बन्द है। लेकिन कोतरी के किसी अधिकारी या कर्मचारियों का नम्बर मांगने से कर्मचारियों को सांप सूंघ जाता है..! किसी लाइन मेन के पास जनता को देने के लिए कोतरी स्टेशन के अधिकारी/कर्मचारियों का नम्बर नही रहता। या उच्च अधिकारियों का नम्बर नही देने का स्पष्ट निर्देश हो ये तो भगवान या कर्मचारी ही जानें।
परन्तु दाल में काला तो यहीं पे नजर आता है कि कैसे किसी सबस्टेशन के लाइन मेन या कर्मचारियों का अपने उच्च स्टेशन के कर्मचारियों से सम्पर्क नम्बर न न हो ये बात पचने में बहुत मुश्किल है।

एक लाइन मेन का साफ आदेश की रात में कोई फोन कर डिस्टर्ब न करें-

कहने को तो लाइन मेन की नियूक्ति ही आपातकालीन स्थिति में जन-सेवा हेतु की जाती है कि किसी भी स्थिति में यदि विद्युत सप्लाई में कोई समस्या हो तो उसे अपने स्तर पर ठीक करने की कोशिश करें। कुछ साहू, रुद्र चौहान सरीखे लाइन मेन अपने कर्तव्यों का निर्वहन बेहतरीन तरीके से निभाते हैं, लेकिन एक अन्य लाइन मेन ने स्पस्ट अपने चौकीदारों को निर्देशित किया है कि रात को फोन करके डिस्टर्ब न करें, क्योंकि उनका नशा उतर जाता है। ये हम नही कहते बल्कि ग्रामीणों का शिकायत है।

आम जनता से लेकर सारंगढ़ विधायक तक हो चुकी हैं बिजली विभाग के कर्मचारियों से परेशान:-

बिजली विभाग की मनमानी से आम गरीब जनता,नेता ही नही अपितु सारंगढ़ अंचल की विधायक उत्तरी गनपत जांगड़े भी खासे परेशान हैं। और तो और उन्होंने पूर्व में विभाग की मनमानी को लेकर सड़क पर उतरने का भी ऐलान कर चुकी हैं। इससे आसानी से समझा जा सकता है कि विभाग की स्थिति कितनी संतोषजनक होगी।

क्या कहते हैं कर्मचारी/अधिकारी-
जब इस बाबत विद्युत अधिकारी पी सी महानंदा से उनके मोबाईल में सम्पर्क किया गया तो उनका फोन नही लगा।
परन्तु लाइन मेन रुद्र चौहान से बात किया गया तो उनका कहना था कि अगर दिन भर या 4 से 5 घण्टा कटौती करने रहता है तो सूचना देते हैं। ट्रांसफार्मर लगाने जैसे 2 घण्टे की कटौती के लिए सूचना नही देते,क्योंकि ये सब अचानक होने वाले कार्य हैं।

अब सोचने वाली बात यह है कि 2 घण्टा वो भी इस भरी दोपहरी में क्या कम है? क्या कर्मचारियों को पूर्व में कोई सूचना नही रहता कि आज अपने क्षेत्र में कहाँ ट्रांसफार्मर लगेगा? क्योंकि ट्रांसफार्मर कोई एक घर मे नही अपितु पूरी गांव हेतु लगाया जाता है। अगर इसकी भी पूर्व सूचना विद्युत विभाग अपने कर्मचारियों को नही देता तो आप समझ सकते हैं कि नियमावली की कोई अहमियत इस विभाग में नही होती।




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