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सारंगढ़ बिग न्यूज़: पत्रकार ने जान जोखिम में डाल कर गौ-तस्करी को किया नाकाम...सरपँच-ग्रामीण-और टीआई विवेक पाटले की सक्रियता से सर में पांव उठाके भागे गौ-तश्कर...

रायगढ़। छत्तीसगढ़ सरकार गौवंशो की सेवा करने और गौपालकों को आर्थिक रुप से समृद्ध बनाने के लिए कई तरह की योजनाएं बनाई है। बाकायदा गौपालकों को सरकार समय-समय पर आर्थिक रूप से भुगतान भी करती रहती है, लेकिन इन दावों के उलट छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों में लगभग रोजाना गोवंश तस्करी के मामले सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार गौ वंश की तस्करी रोकने के लाख दावे कर ले लेकिन सारंगढ़-बरमकेला के रास्ते ओड़िसा की ओर लेजाकर अन्य राज्य के बूचड़खाने या उनसे बचे तो बंगाल नहीं तो बांग्लादेश तक तस्करी जारी है। इस तस्करी को रोकने में सरकार एवं गौ रक्षा आयोग पूरी तरह सक्रिय हैं फिर भी सफल नहीं हो पा रहे है। मवेशी को बूचड़खाने ले जाने के इस खेल में अब किसानों को मोहरा बनाया जा रहा है।पशु तस्करी की सूचना मिलते ही हमारी टीम तत्काल कार्रवाई करने का आदेश है। क्योंकि भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में प्रशिद्ध नारा दिया है-छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी- "नरवा,गरवा,घुरवा,बाड़ी"...
इसके लिए करोड़ों की बजट गोठान हेतु बनाया गया है। छत्तीसगढ़ की इस पहल पर प्रदेश सहित पूरे देश मे छत्तीसगढ़ की चर्चा लोगों के जुबान पर है। लेकिन कुछ लोग इसे अपने कमाई का जरिया बना चुके हैं। ये तश्कर
सारंगढ़-बरमकेला-सरिया-सरायपाली के जगंल के रास्ते बाहर घूम रहे पशुओं को रात्रि और दिनदहाड़े जंगल पार कर ओड़िसा बॉर्डर तक पहुंचा कर मोटी रकम उसूल रहे है, और मासूम गौ को मौत के मुंह मे ढकेलने से भी कोई गुरेज नही कर रहे है,जो कि छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासन के महत्वकांछा पर पानी फेर रहे हैं।

पत्रकार-सरपंच और ग्रामीणों की जागरूकता से पशु तश्करी फैल-
ग्राम फर्सवानी में दिनांक 09-12-2020 गुरुवार को गोड़म के रास्ते फर्सवानी मे करीब 20-25 गौ-वंश को 3 तश्कर जंगल रास्ते बरमकेला जंगल के रास्ते छत्तीसगढ़ बॉर्डर पार कराने के फ़िराक में थे। तभी ग्रामीणों के फर्सवानी सरपँच गंगाराम सिदार को इसकी सूचना दी। सरपँच गंगाराम सिदार ने पत्रकार जगन्नाथ बैरागी को तत्काल फोन में सूचित किया। पत्रकार जगन्नाथ बैरागी ने जान जोखिम डाल कर मोटरसाइकिल से रात्रि में कुछ ग्रामीणों व लेकर जंगल के रास्ते पशु तस्करों के पीछा किया। फर्सवानी के जंगल किनारे पहुंच जब उनसे पशुओं के बारे के पूछताछ की तो उनके द्वारा सभी पशु को माधोपाली से लाना बताये। तश्करों ने कहा कि माधोपाली के कुछ लोगों के कहने पर वो फर्सवानी गौठान छोडने जा रहे हैं जबकि फर्सवानी के सरपंच ने स्वयं तस्करी की बात कबूली जिससे तश्करों कि गिघ्घी मानो बंद सी गयी।

जगन्नाथ बैरागी और विवेक पाटले की सक्रीयता से अंधेरे का फायदा उठाकर भागे तश्कर-
जब इस मामले पर पत्रकार जगन्नाथ बैरागी ने सारंगढ़ थाना प्रभारी विवेक पाटले को सूचित किया तो श्री पाटले ने तत्काल अपने अधीनस्थ पुलिसकर्मियों को फर्सवानी भेजने की बात कही। जिसे सुनकर तश्कर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले..! अंधेरे में पत्रकार और ग्रामीणों की लाख कोशिश के बावजूद तश्कर भागने में सफल रहे और पशुओं को ग्रामीणों द्वारा गांव लाया गया है।


कुछ गम्भीर सवाल, जिसका जवाब पूछता है छत्तीसगढ़-
गौतस्करों का समर्थक कौन है? जिससे ये धड़ल्ले से गौतस्करी कर रहे हैं? इनका सहयोगी कौन? किसके इशारों में तस्करी हो रही? किस-किस नेता बंगले का सहयोग तस्करों को मिल रहा है? कौन कौन पुलिस थानों की सेटिंग है, जिसके कारण कार्रवाई करने में पुलिस के हाथ काँपते हैं? कई बार तस्करों की गाड़ी पास होती है, ऐसे में कौन सा सिपाही करा रहा गाड़ी पासिंग? किस-किस थाने के सामने से निकल रही गाड़ियां? गौ रक्षकों के फोन पर क्यों नहीं पहुँचती है पुलिस? ये बड़ा सवाल है।
वहीं सरकार इस मामले में मौन क्यों है? और पूर्व सरकार की प्रतिक्रिया क्यों नही आती? ये गम्भीर विषय है।




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