छत्तीसगढ़: सुरक्षा बल के जवानों को मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या रोकथाम के प्रति किया जागरूक
नारायणपुर: संवेदनशील क्षेत्र और विषम परिस्थितियों में रहकर अपने कार्य को बेहतर और अनुशासित तरीके से करने वाले सुरक्षा जवानों के लिए अनुकूल माहौल में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 'तनाव प्रबंधन एवं आत्महत्या रोकथाम' पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में थाना कोहकामेटा के पुलिस कर्मी एवं भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के सी. और ई. कंपनी के जवान शामिल रहे।
इस मौके पर मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ.प्रशांत गिरी द्वारा ने मानसिक बीमारियों के प्रकार ,लक्षण एवं उपचार के बारे में जानकारी देते हुए बताया:" मानसिक तनाव आज एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है, कुछ हद तक तनाव होना स्वाभाविक भी है। लेकिन जब यही तनाव बढ़ने लगता है तो इससे व्यक्ति को एंगजाइटी, अवसाद व अन्य कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, अगर तनाव बढ़ जाए तो इससे बाहर निकल पाना व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल हो जाता है। इसके अतिरिक्त जो लोग डिप्रेशन की बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, क्योंकि अधिकतर अकेले में रहने वाले डिप्रेशन के चलते गलत कदम उठा लेते हैं। मानसिक तनाव का सामना कर रहे लोग जागरूकता के अभाव में मनोरोग चिकित्सक से परामर्श नहीं ले पाते हैं। ऐसे लोगों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।"
आगे उन्होंने मानसिक रोगों के प्रकार के बारे में जानकारी देते हुए बताया: “मानसिक रोग प्रमुख रूप से डिप्रेशन, चिन्ता, कमजोर याददाश्त, भय व चिन्ता होना, थकान और सोने में समस्याएं होना, वास्तविकता से अलग हटना, दैनिक समस्याओं से निपटने में असमर्थ होना, समस्याओं और लोगों के बारे में समझने में समस्या होना, हद से ज्यादा क्रोधित होना आदि मानसिक बीमारी के लक्षण हैं। यदि किसी व्यक्ति को मानसिक बीमारी है, तो उसे तनाव को नियंत्रित करना चाहिए। साथ ही नियमित चिकित्सा पर ध्यान देना चाहिए। '
वहीं क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति चाण्डक ने बताया:" किसी व्यक्ति में तनाव अगर लंबे समय तक बना रहे तो यह मरीज़ को डिप्रेशन यानी अवसाद की तरफ धकेल सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते ही इसकी पहचान कर ली जाए। मानसिक समस्याएं होने पर इनका निदान भी मौजूद रहता है। जिसे आप स्वयं या चिकित्सक की मदद से नियंत्रित कर सकते है। उन्होंने पुलिस जवानों को तनाव प्रबंधन के बारे में जागरूक रहने की सलाह भी दी और कहा कि तनाव सबको होता है आपका नजरिया तय करता है कि आप कितने समय में उस तनाव से उबरते हैं।"
मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम में असिस्टेंट कमांडेंट धर्मेंद्र, इंस्पेक्टर निर्मल, महिपाल ,किशन धामी, प्रीतम,अशोक त्रिपाठी ,मोहन नेगी, सब इंस्पेक्टर अभिषेक दिनेश,तेज बहादुर एवं थाना कोहकमेटा प्रभारी योगेंद्र वर्मा उपस्थिति रहे।