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पोलियो की खुराक: 320 बूथों के अलावा ईंट भट्ठों और निर्माण इलाकों में विशेष निगरानी

दंतेवाड़ा: जिले में पल्स पोलियो अभियान आज से शुरू किया जाएगा। जिसमें जिले के 0 से 5 वर्ष तक के कुल 41,380 सर्वेक्षित बच्चे को दवा पिलाने का लक्ष्य रखा गया है। अभियान को सफल बनाने के लिये जिले में कुल 320 बुथ बनाये गये है जिनमें 657 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, साथ ही बाजार, मेला- मड़ई, उच्च जोखिम वाले क्षेत्र, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड औरभवन निमार्ण साइटों में कुल 9 मोबाईल टीमों का गठन किया गया है। इसके साथ ही 8 ट्रांजिट टीम लगाई गई हैं । पल्स पोलियो अभियान के मॉनिटरिंग हेतु क्षेत्र में 33 सेक्टरों का गठन कर 33 पर्यवेक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. जी. सी शर्मा ने बताया, “भारत एक दशक से पोलियो मुक्त बना हुआ है। चूंकि पोलियो एक बहुत ही गंभीर और संक्रामक बीमारी है, इसलिए इससे बचने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि पांच साल तक के बच्चों को हमेशा पोलियो ड्रॉप पिलाते रहें। जिले में कोविड-19 की स्थिति को देखते हुए सुरक्षित टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए इसके अनुकूल सभी कदम -- जैसेबूथों पर भीड़ जमा न होने देना, दो मीटर की दूरी बनाकर रखना, मास्क पहनना, हाथ धोना और हवादार वातावरण में पोलियो खुराक पिलाना आदि -- उठाए गए हैं। पोलियो अभियान में इस बार ईंट भट्ठों और निर्माण इलाकों में विशेष तौर पर निगरानी कर पोलियो खुराक पिलाई जाएगी। यह रणनीति इसलिए बनाई गई है, क्योंकि मजदूर वर्ग के लोग काम खत्म होने के बाद जल्दी-जल्दी अपनी जगह बदल लेते हैं। इसके चलते इनके बच्चे खुराक पीने से छूट जाते हैं।

क्या है पोलियो
यह एक संक्रामक रोग है, जिसे पोलियोमेलाइटिस के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य रूप से इसका वायरस मुंह के जरिए आपके शरीर में प्रवेश करता है। इसके बाद यह वायरस रक्त कोशिकाओं के माध्यम से केंद्रीय स्नायुतंत्र (सेंट्रल नर्वस सिस्टम) पर आघात करता है। इसके चलते हड्डियों का विकास रुक जाता है और बच्चा अपंग हो जाता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव पांच साल तक के बच्चों पर होता है इसलिए इसे शिशु अंगघात भी कहा जाता है। विज्ञान अभी तक इसका इलाज नहीं तलाश पाया है. लेकिन पोलियो के टीके या ड्रॉप के जरिए किसी बच्चे को इसका शिकार होने से पहले बचाया जरूर जा सकता है।

पोलियो के लक्षण हैं
अधिकतर मामलों में मरीजों में पोलियो के लक्षणों का पता नहीं चलता, लेकिन अन्य मामलों में इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं-फ्लू जैसे लक्षण, पेट दर्द, सिर दर्द, पीठ में दर्द, डायरिया, उल्टी, गले में दर्द, हल्का बुखार, मांसपेशियों में जकड़न, अधिक कमजोरी या थकान होना, सांस लेने में तकलीफ, कुछ भी निगलने में तकलीफ होना और लार गिरना इत्यादि।




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