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छत्तीसगढ़ : अब दुनिया जान पाएगी गुप्त तीर्थ शिवरीनारायण की महिमा

छत्तीसगढ़ के साथ भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को सहेजते हुए यहां की संस्कृति को विश्वस्तर पर नयी पहचान दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की है। पहले चरण में विकास के लिए चुने गये 9 में से 2 स्थानों में पर्यटन सुविधाओं के विकास तथा सौंदर्यीकरण का काम पूरा हो गया है। इनमें से मां कौशल्या धाम चंदखुरी के विकास कार्यों का लोकार्पण गत वर्ष 07 अक्टूबर को किया गया था, अब 10 अप्रैल को रामनवमीं के अवसर पर शिवरीनारायण में पूर्ण हो चुके विकास कार्यों का लोकार्पण मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करने जा रहे हैं। शिवरीनारायण वही स्थान है जहां भगवान राम ने मां शबरी के जूठे बेरों को ग्रहण किया था। शिवरीनारायण को भारत का पांचवां धाम और गुप्त तीर्थ कहा जाता है।

महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम तट पर बसे शिवरीनारायण नगर में 11 शताब्दी में हैह्य वंश के राजाओं के मंदिर बनाया गया था। यहां पर छठवीं शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं स्थापित हैं। शिवरीनारायण का महत्व रामायणकालीन होने की वजह से यह नगर श्रद्धालुओं के लिए भी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है। प्रतिवर्ष यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं और खुद को भगवान राम और माता शबरी के चरणों में न्यौछावर कर देते हैं। श्रद्धालुओं की अपार आस्था को देखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने शिवरीनारायण का विकास करने का निर्णय लिया जो अब पूरा होने जा रहा है।

शिवरीनारायण मंदिर परिसर का उन्नयन एवं सौदर्यीकरण

लगभग 11वीं शताब्दी का ये मंदिर भगवान राम और लक्ष्मण की आस्था का बड़ा केंद्र है। इसीलिए इसको बड़ा मंदिर भी कहते हैं। नवरात्रि और रामनवमीं जैसे त्यौहारों में श्रद्धालुओं को किसी तरह की तकलीफ ना हो इसके लिए मंदिर परिसर का उन्नयन किया गया है। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के आराम करने के लिए भवन निर्माण किया गया है। इसके साथ ही नव निर्मित भवनों को भगवान राम की आस्था के अनुसार रंग रोगन किया गया है। मंदिर के विशाल द्वार का जीर्णोद्धार किया गया है। श्रद्धालुओं को दीप प्रज्ज्वलित करने में परेशानी ना हो इसके लिए मंदिर परिसर के भीतर ही विशाल दीप स्तंभ का निर्माण किया गया है। ये सारे निर्माण और उन्नयन कार्य मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार के पूर्व किया गया है ताकि श्रद्धालु सुगमता पूर्वत भगवान राम के नारायणी अवतार का दर्शन कर सकें।

रामायण इंटरप्रिटेशन सेन्टर एवं पर्यटक सूचना केन्द्र
शिवरीनारायण नगर का अस्तित्व हर युग में रहा है। यह नगर मतंग ऋषि का गुरूकुल आश्रम और माता शबरी की साधना स्थली भी रही है। यह महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के त्रिधारा संगम के तट पर स्थित प्राचीन नगर है। शिवरीनारायण प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण नगर है, जो छत्तीसगढ़ के जगन्नाथपुरी धाम के नाम से विख्यात है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु राम ने शबरी के जूठे बेर यहीं खाये थे और उन्हें मोक्ष प्रदान किया था। इन सारी बातों को जीवंत रूप देने के लिए मंदिर परिसर के बाहर रामायण इंटरप्रिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया है। इससे मंदिर दर्शन करने आए श्रद्धालुओं के मानस पर शिवरीनारायण की अमिट छाप पड़ेगी। इंटरप्रिटेशन सेंटर के बाद स्थित दो वृक्षों के बीच में भगवान राम को जूठे बेर खिलाती हुयी माता शबरी की प्रतिमा स्थापित की गयी है जो श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनने जा रही है। इसी जगह पर पर्यटकों के लिए सूचना केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है जिससे श्रद्धालु शिवरीनारायण और आस-पास के पर्यटन क्षेत्रों की और जानकारी हासिल कर सकें।

       नदी घाट का विकास एवं सौंदर्यीकरण, व्यू पाइंट
शिवरीनारायण में राम वन गमन पर्यटन परिपथ के अतर्गत पर्यटन सुविधाओं के विकास के लिए 39 करोड़ रूपए के कार्य होंगे। इसके तहत प्रथम चरण में 6 करोड़ के विकास कार्य पूर्ण किए गए हैं। महानदी, शिवनाथ और जोंक नदी के संगम पर स्थित शिवरीनारायण को पर्यटकों के लिए और आकर्षक बनाने के लिए यहां पर नदी घाट का विकास किया गया है, साथ ही घाट के सौंदर्यीकरण से यहां श्रद्धालुओं को अब ज्यादा सहूलियत मिलने जा रही है। श्रद्धा के साथ ही ये संगम तट पर्यटन के लिए भी जाना जाए इसके लिए घाट पर व्यू प्वाइंट का निर्माण किया गया है जहां से पर्यटकों को अद्भुत नजारों का दीदार होगा।

       स्थानीय लोगों को रोजगार    
शिवरीनारायण का महत्व सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं बल्कि देश और विदेश में भी है। प्रतिवर्ष यहां पर श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है। श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुविधाओं को बढ़ाते हुए यहां राज्य सरकार ने यहां पर मॉड्यूलर दुकानों का निर्माण कराया है। इन दुकानों को स्थानीय लोगों को आवंटित किया जाएगा जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध हो और शिवरीनारायण के स्थानीय लोग आर्थिक सशक्तिकरण की ओर बढ़ सकें। बाहर से आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं को परेशानी ना हो इसके लिए मंदिर परिसर के पीछे विशाल पार्किंग एरिया एवं शौचालय का निर्माण किया गया है




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