news-details

पहली बार वट सावित्री व्रत रखने वाली महिलाएं, इन बातों का रखें ध्यान

30 मई को वट सावित्री का व्रत रखा जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है. ऐसा माना जाता है कि बरगद में ब्रह्मा, विष्णु, महेश तीनों देवों का वास होता है. 

बरगद की पूजा करने से कष्टमुक्त और भयमुक्त रहने के साथ पति की आयु लंबी होती है. इन देवताओं के वास से सौभाग्य का आर्शीवाद प्राप्त होता है. इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके विधि-विधान से पूजा करती हैं. 

अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही हैं तो आपको कुछ नियमों को ध्यान में रखना चाहिए. आइए जानें अगर आप पहली बार व्रत रख रहीं हैं तो आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. इन नियमों का पालन करने से आपकी सारी मनोकमाएं पूरी होती हैं.

वट सावित्री व्रत का मुहूर्त
अमावस्या तिथि की शुरुआत मई 29 से रविवार 2 बजे 54 मिनट पर होगी. अमावस्या तिथि का समापन 4 बजकर 59 मिनट पर होगा.

पूजी की सामग्री
इस दिन पूजा सामग्री में कच्चा सूत, रोली, चंदन, अक्षत, फल, मिट्टी का दीया, भीगा चना, रोली, घर की बनी मिठाई और जल से भरा कलश और खरबूजे की जरूरत होगी. पूजा के दौरान बरगद के पेड़ की परिक्रमा की जाती है.

इस विधि से करें पूजा
इस दिन सुबह उठकर स्नान करें. नए कपड़े पहनें. सोलह श्रृंगार करें. अपना सारा सामान टोकरी में रख लें. इसके बाद बरगद के पेड़ के पास जाए. बरगद के पेड़ को रोली और चंदन का तिलक लगाएं. कच्चे को सूत को बरगद के पेड़ से बांधते हुए 7 बार परिक्रमा करें. 

बरगद के पेड़ पर फल, फूल और मिठाई अर्पित करें. धूप और दीप जलाएं. अपने पति की लंबी उम्र की कामना करें. कलश के जल को आर्पित करें. व्रत की कथा सुने और पढ़ें. इस दिन 11 भीगे हुए चने खाने और बरगद के फल खाने की परंपरा है. इन चनों को चबाया नहीं जाता है एक साथ निगलना होता है. इन चने निगलकर व्रत का समापन होता है.

अगर आपको वट सावित्री व्रत के दिन पीरियड्स हो जाएं तो आप बाल धोएं. पूजा की सामग्री को छूएं नहीं. किसी अन्य महिलाएं से अपने बदले पूजा करवाएं. व्रत की कथा कहीं अलग बैठ कर सुन लें. इस तरह आप पीरियड्स के दौरान वट सावित्री की पूजा कर सकते हैं.




अन्य सम्बंधित खबरें