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हत्या कर मेन रोड पर फेंकी लाश, भारी वाहन से कुचलते रहे लाश

बिलासपुर। हिर्री क्षेत्र के ग्राम हरदी में टॉयर दुकान चलाने वाले अधेड़ के साथ युवक ने पहले वाद-विवाद करते हुए मारपीट की। फिर देर रात रॉड से हमला कर उसकी हत्या कर दी। वारदात को अंजाम देने के बाद उसने शव को मेनरोड पर फेंक दिया, जो भारी वाहन की चपेट में आने से क्षत-विक्षत हो गया। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ हत्या का अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

पुलिस के अनुसार ग्रामीणों ने सोमवार की सुबह देखा कि मेनरोड पर किसी अधेड़ की लाश क्षत-विक्षत हालत में पड़ी है। इसके बाद मौके पर भीड़ जुट गई। लोगों ने कपड़ों से मृतक की पहचान नूर आलम पिता मो.असलम (52) के रूप में की।

इस घटना की सूचना सरपंच उर्मिला नेताम के पति देवप्रसाद ने हिर्री थाने में दी। उसने पुलिस को बताया कि गांव में गंगाराम होटल के पास मेनरोड में एक्सीडेंट हुआ है, जिसमें टॉयर दुकान चलाने वाले नूर आलम की मौत हो गई है।

कोई भारी वाहन शव को बुरी तरह से कुचल दिया है। उसकी रिपोर्ट पर पुलिस ने पहले धारा 304ए के तहत अपराध दर्ज कर लिया। मौका मुआयना करने व आसपास के लोगों से पूछताछ करने पर पता चला कि रात 11 से 12 बजे के बीच नूर आलम व होटल चलाने वाले युवक आशीष साहू पिता होरीलाल (22) के साथ विवाद हुआ था।

दोनों के बीच गाली-गलौज के साथ ही हाथापाई भी हुई थी। फिर मामला शांत हो गया था। इसके बाद नूर आलम अपनी दुकान के बरामदे में खाट लगाकर सो गया। देर रात पड़ोसी ने आशीष को उसे घसीटते हुए रोड की ओर लेकर जाते देखा था।

इसी संदेह के आधार पर पुलिस ने आशीष को हिरासत में लेकर पूछताछ की। बारीकी से पूछताछ करने पर उसने अपराध स्वीकार करते हुए बताया कि उसने नूर आलम पर रॉड से हमला किया। फिर उसकी मौत होने पर उसने शव को रोड पर ले जाकर फेंक दिया। हत्या का मामला उजागर होने पर पुलिस ने उसके खिलाफ धारा 302, 201 के तहत अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

शासकीय जमीन पर कब्जा करने को लेकर हुआ विवाद

देवप्रसाद ने पुलिस को बताया कि नूर आलम व आशीष साहू के बीच शासकीय जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर विवाद चल रहा था। आशीष के पिता होरीलाल का बस्ती में मकान है। वह परिवार के साथ रहता है। रात में आशीष होटल में ही रहता है। वहीं मृतक नूर आलम टॉयर दुकान में ही अकेले रहता था। दुकान के पीछे वह टॉयर वगैरह फैलाकर रखा था और कब्जा करने की फिराक में था। जबकि, उसी शासकीय जमीन पर आशीष की नजर थी। इसलिए वह नूर आलम को इसे लेकर मना करता था। रविवार की रात भी उनके बीच इसी बात को लेकर विवाद हुआ था।





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