news-details

स्कूल में बासी दाल, बोर का पानी पीने से 23 बच्चे बीमार, 8 की हालत ज्यादा ख़राब

बेलगहना के सोनसाय नवागांव में स्कूल की बासी दाल खाने और बोरिंग का गंदा पानी पीने से 23 बच्चे बीमार हो गए। शुक्रवार की दाेपहर के बाद जब सभी बच्चों का पेट बिगड़ा तो गांव में हड़कंप मच गया।

 मितानिन और दूसरे अधिकारियों ने मोर्चा संभाला और क्षेत्र के अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई। जिसके बाद ही सभी बच्चों को पहले तो बेलगहना के ही स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया, लेकिन सात बच्चों की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें रतनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया है। सीएमएचओ डॉ. अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि फिलहाल उन बच्चों की स्थिति बेहतर है।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक गांव के ही पास पंडरीपान में सरकारी स्कूल है। सोनसाय और दोमुहानी गांव के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। शुक्रवार को प्राइमरी के बच्चे पढ़ने आए। पढ़ाई के बाद दोपहर के वक्त मध्यान्ह भोजन के दौरान बच्चों को बासी दाल परोसी गई। जिसके बाद ही उनकी स्थिति बिगड़ने लगी। एकाएक 23 बच्चों के पेट में दर्द शुरू हो गया।

जिनके बाद उन्हें मितानिन ने मौके पर कुछ दवाएं उपलब्ध करवाईं। कुछ बच्चे उस दिन ही ठीक हो गए और कुछ बच्चों की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। जिन्हें रतनपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाया गया है। यहां उनका इलाज जारी है। स्कूल प्रबंधन ने स्वास्थ्य विभाग को सफाई दी है कि बच्चों ने उस दिन मध्यान्ह भोजन ही नहीं किया है। सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर बच्चे कैसे बीमार हुए?

ये बच्चे अस्पताल में भर्ती
शिवकुमार पिता परसुराम 3 साल, प्रमिला पिता राम सिंह, 8 साल, पवनकुमार पिता माखन लाल 4 साल, चंदा पिता घासीराम 5 साल, पार्वती पिता बुधराम सिंह 7 साल, स्वरूप पिता सावन सिंह 8 साल, संतकुमार पिता शुक्रवार 8 साल, हंश कुमारी पिता शुक्रवार 7 साल।

फिलहाल ये व्यवस्था
सीमएचओ डॉ. अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि बच्चों का इलाज उनकी पहली प्राथमिकता है। बाद में यह देखा जाएगा कि कौन दोषी है। इसके कारण ही गांव में दो सिस्टर की इमरजेंसी ड्यूटी लगाई गई है। पीएचई के अधिकारी पानी का सैंपल लेने पहुंच गए हैं। रतनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जिनके बच्चे भर्ती हैं, उनके लिए भी रहने और खाने-पीने की व्यवस्था की गई है।

फूड पॉइजन या डायरिया, प्रशासन को पता नहीं
गांव में 23 बच्चों को बीमार हुए दो दिन हो गए हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियाें को इसकी जानकारी नहीं है कि बच्चों को फूड पॉइजन है या डायरिया। ब्लॉक मेडिकल अधिकारी डॉ. निखिलेश गुप्ता का कहना है कि पीएचई विभाग के पानी जांचने के बाद ही इस बात की पुष्टि होगी कि गंदा पानी पीने या बासी खाना खाने से बच्चे बीमार हुए हैं। उनके मुताबिक कुछ बच्चे और बड़े सर्दी खांसी के शिकार हुए थे और कुछ को उल्टी दस्त। जिसके बाद उनका इलाज शुरू किया गया है।

बच्चों का इलाज शुरू, स्थिति कंट्रोल में
हमें जैसे ही गांव में डायरिया फैलने की सूचना मिली तत्काल जांच इलाज की व्यवस्था बनाई गई है। इलाज प्राथमिकता है इसलिए पहले यह कर रहे फिर जवाबदेही तय करेंगे। कोई भी लापरवाही सामने आई तो संबंधित के खिलाफ जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया बढ़ेगी। -डॉ. अनिल श्रीवास्तव, सीएमएचओ




अन्य सम्बंधित खबरें