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कलयुगी औलाद ने मां-बाप को मारकर नदी में फेंकी लाश, अंधविश्वास में दिया घटना को अंजाम

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अधेड़ दंपति की हत्या का पर्दाफाश पुलिस ने कर दिया। हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उसका ही बेटा निकला। जादू टोना करने का शक और तांत्रिक के कहने पर बेटे ने अपने ही माता-पिता को मारकर नदी में फेंक दिया। 

सोशल मीडिया और पैम्फलेट के जरिए पुलिस आरोपियों तक पहुंची। अपराध की गुत्थी को सुलझाने पुलिस ने गोपनीय रूप से गांव पहुंचकर कैंप किया और पूरी जानकारी हासिल की। पुलिस ने नाबालिग बेटे सहित 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। वहीं एक आरोपी अभी फरार है। पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया है। अंधविश्वास में पूरा परिवार तबाह हो गया।

रायगढ़ एसपी अभिषेक मीणा ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि सरिया थाना क्षेत्र में 8 दिन पहले नदीगांव सूरजगढ़ महानदी पुल के नीचे अधेड़ महिला-पुरुष की लाश मिली थी। हत्या की वजह अंधविश्वास है।

 जादू टोना के शक में महिला व पुरुष की हत्या की गई थी। वारदात को अंजाम देने वाले एक नाबालिग समेत 6 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पुलिस ने आरोपियों से बोलेरो वाहन, मोबाइल, रस्सी, पत्थर, सिंका जब्त किया है। 

पुलिस ने 1 अगस्त को लाश मिलने के बाद मृतकों की पहचान के लिए क्षेत्र में पैम्फ्लेट लगाए थे। सोशल मीडिया में भी संदेश वायरल किया गया। एसडीओपी सारंगढ़ प्रभात पटेल के नेतृत्व में कई थानों की टीम हत्या की गुत्थी को सुलझाने में लगी थी। 7 दिन बाद बाद पुलिस को सफलता मिल गई।

सरिया थाना पुलिस की टीम रायगढ़ और ओडिशा के ज्यादातर सार्वजनिक स्थानों पर मृतकों की जानकारी हासिल करने पैम्फ्लेट चस्पा किया गया। पुलिस को मृतकों के बारे में जानकारी मिली। महेशपुर बागबाहर निवासी सुकरू यादव (45 साल) और मनमती यादव (40 साल) के रूप में पहचान की गई। 

पुलिस टीम ने महेशपुर पहुंचकर गोपनीय तरीके से पहले जानकारी हासिल की। एक नाबालिग सहित 8 लोगों के द्वारा मिलकर जादू टोना के संदेह पर 30 जुलाई की रात घटना को अंजाम देने की जानकारी मिली। पुलिस ने एक-एक कर लैलूंगा, जशपुर के विभिन्न इलाकों से 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया। वारदात में शामिल एक आरोपी दशरथ यादव फरार हो गया, जिसकी तलाश की जा रही है।

नाबालिग आरोपी ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि वह दो भाई और एक बहन हैं। उनके माता-पिता रायगढ़ भगवानपुर में रहकर काम करते थे। दोनों बेटा गांव की खेती कर जीवनयापन कर रहे थे। बड़ा भाई खुलेश्वर यादव कुछ माह से मानसिक रूप से बीमार रहने लगा।

 उसे सतगुरु आश्रम ग्राम झीमकी चौकी कोतबा के तांत्रिक छत्रमोहन यादव के पास लेकर गए। झाड़-फूंक करने वाले तांत्रिक छत्रमोहन यादव ने नाबालिग से कहा कि तुम्हारे भाई को तुम्हारे माता-पिता ने जादू टोना कर पागल कर दिए हैं। 

उन्हें जान से मार दोगे तो तुम्हारा भाई ठीक हो जाएगा और तुम आर्थिक रूप से संपन्न हो जाओगे। वह अकेले इस काम को नहीं कर सकता था, इसलिए उन्होंने अपने जीजा नरसिंह यादव और चचेरे भाई राजू राम यादव, भोले शंकर यादव, शंकर यादव, खगेश्वर यादव, ईश्वरी यादव और दशरथ यादव के साथ मिलकर सुकरू राम यादव और मनवती यादव की हत्या का प्लान बना वारदात को अंजाम दिया।




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