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आज डूबते सूर्य को दिया जाएगा पहला अर्घ्य, जानें छठ पूजा का शुभ मुहूर्त एवं नियम

नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. खरना पूजा के बाद आज कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को अस्ताचलगामी यानि डूबते सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. 

चार दिनों तक चलने वाला ये पावन पर्व कल सोमवार उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पूरा होगा. अन्न दिहले, धन दिहले, वंश बढ़इले ना, बबुआ होई हमके त हम छठ करबो ना जैसे मंगल गीत गाते हुए महिलाएं आज अपनी संतान और घर परिवार के सुख-सौभाग्य की कामना रखते हुए छठी मैया की विशेष रूप से पूजा करती हैं. 

प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य और छठी मैया की विशेष पूजा से जुड़ा यह पावन पर्व बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड समेत देश के अन्य हिस्से में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है. आइए छठ पूजा का पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और इसके धार्मिक महत्व को विस्तार से जानते हैं.

छठ की पूजा का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार संतान को सुख-सौभाग्य और आरोग्य का वरदान प्रदान करने वाली कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि 30 अक्टूबर 2022 को प्रात:काल 05:49 से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर 2022 को पूर्वाह्न 03:27 बजे तक रहेगी. देश की राजधानी दिल्ली के समयानुसार आज सायंकाल 05:38 बजे अस्ताचलगामी यानि डूबते सूर्य को को पहला अर्घ्य दिया जाएगा.

शाम के समय क्यों दिया जाता है सूर्य को अर्घ्य?
सनातन परंपरा में छठ पूजा ही एक मात्र पर्व है जिसमें प्रत्यक्ष देवता भगवान सूर्य को अस्त होते समय अर्घ्य दिया जाता है. आज छठ पूजा के दिन शाम के समय की जाने वाली सूर्य की विशेष पूजा को संध्या अर्घ्य कहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस शाम के समय भगवान भास्कर अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं. मान्यता है की सूर्य की इस पूजा से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है.


छठ पूजा या व्रत रखने के क्या लाभ हैं?
सनातन परंपरा में भगवान सूर्य और छठी माता के लिए रखे जाने वाले व्रत को बड़े नियम और संयम के साथ रखा जाता है. मान्यता है जो व्यक्ति इस व्रत को विधि-विधान से रखता है, उसकी सभी मनोकामना छठी मैया जरूर पूरा करती हैं. 

छठ व्रत में सौभाग्य और आरोग्य का वरदान देने वाले सूर्यदेव को डूबते और उगते समय विशेष रूप से अर्घ्य देने का विधान है. जिन लोगों को जीवन में यश, अच्छी सेहत और सुख-सौभाग्य की कामना हो, उन्हें यह व्रत जरूर रखना चाहिए.

 ज्येातिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होकर अशुभ फल दे रहा हो, उनके लिए यह सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है. सूर्य देवता की कृपा पाने के लिए अर्घ्य देते समय ‘ॐ एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकंपय माम् भक्तया गृहाणाघ्र्यम् दिवाकर’ मंत्र का मन ही मन में जप करें.




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