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सिम्स में बड़ी लापरवाही, गरीबों के हजारों चश्मे कचरे में, प्रबंधन ने कहा हमारा नहीं

बिलसपुर:- सिम्स में गरीब मरीजों को नि:शुल्क बांटने के लिए शासन की ओर से भेजे गए हजारों चश्मे कचरे में पड़े मिले हैं। दूसरी ओर परिसर में पड़े इन चश्मों को प्रबंधन अपना मानने से ही इनकार कर रहा है। सिम्स के पुराने भवन स्थित खाली जगह की सफाई कराई जा रही है। इस बीच कचरे के ढेर में तीन कार्टून भी मिले, जिसमे अंदर देखने पर पता चला कि इनमें पावर के चश्मे भरे हैं। तीन कार्टून में हजारों नए चश्मे थे। इस बारे में सिम्स के कर्मचारियों का कहना है कि कुछ साल पहले शासन ने गरीबों को नि:शुल्क बांटने चश्मे भेजे थे।

आई डिपार्टमेंट से जरूरतमंद गरीब मरीजों को ये चश्मे देने थे, लेकिन इनका वितरण नहीं किया गया। काफी समय तक चश्मे डंप थे। बाद में उन्हें फेंक दिया गया है। दूसरी ओर प्रबंधन का कहना है ये चश्मे कहां से आए है, इसकी जानकारी नहीं है। वे शासन की ओर से चश्मे भेजने की बात से इनकार कर रहे हैं। साफ है सिम्स प्रबंधन की लापरवाही के चलते हजारों रुपये खर्च होने पर भी हितग्राहियों को लाभ नहीं मिल पाया। सिम्स के कबाड़ को एक-दो साल में नीलाम की जाती है। इन कबाड़ की छंटनी करने पर हर बार उपयोग सामान मिलता है। 

इसमें कई चिकित्सकीय उपकरण भी होते हैं, जिन्हें सुधारकर काम के लायक बनाया जा सकता है। कई बार कचरे में उपयोग लायक दवाइयां भी बड़ी मात्रा में मिलती हैं। इस मामले में जब हमने सिम्स के प्रभारी अस्पताल अधीक्षक से जानकारी चाही तो उनका कहना था कि नि:शुल्क चश्मे बांटने जैसी कोई योजना नहीं आई थी। ये चश्मे उस समय के है जब सिम्स जिला अस्पताल हुआ करता था और उस समय केटरेक्ट के मरीजों को आॅपरेशन के बाद पावर के चश्मे दिए जाते थे ,हलाकि प्रभारी एमएस ने सिविल सर्जन को पत्र लिखकर कहा है कि यदि उनके काम के लायक हो तो वो चश्मे लेजा सकते है।




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