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भगवान भैरव का चमत्कारी मंत्र, जिसे जपते ही पूरी होती है हर मनोकामना

सनातन परंपरा में मार्गशीर्ष मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को काल भैरवष्टमी या फिर काल भैरव जयंती के पावन पर्व के रूप में मनाया जाता है. इस साल यह पावन पर्व 16 नवंबर 2022 को मनाया जाएगा. 

भगवान भैरव को शिव जी का उग्र अवतार माना गया है. मान्यता है कि भगवान भैरव के विभिन्न स्वरूपों की साधना करने पर साधक के सभी दु:ख और परेशानियां पलक झपकते दूर होती हैं. भगवान काल भैरव की साधना में मंत्र जप का बहुत ज्यादा महत्व है. आइए सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाले भगवान भैरव के मंत्र और उनकी पूजा के दौरान की जाने वाली आरती के बारे में विस्तार से जानते हैं.

किस मंत्र से प्रारंभ करें भगवान भैरव की पूजा
भगवान भैरव की पूजा करने से साधक को स्नान-ध्यान करके पवित्र मन से पहले उनकी पूजा के लिए संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद ” ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्, भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि” मंत्र पढ़ते हुए भगवान भैरव से उनकी पूजा के लिए आज्ञा लेनी चाहिए. इसके बाद नीचे दिए गए कालभैरवाष्टकम् का पाठ करें.

कालभैरव अष्टकम्
देवराजसेव्यमानपावनाङ्घ्रिपङ्कजं

व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्

नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं

काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं

श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं

काशिका पुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।

स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं

नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरञ्जनम्।

मृत्युदर्पनाशनं कराळदंष्ट्रमोक्षणं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसन्ततिं

दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकन्धरं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

भूतसङ्घनायकं विशालकीर्तिदायकं

काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं

काशिकापुराधिनाथ कालभैरवं भजे।।

कालभैरवाष्टकं पठन्ति ये मनोहरं

ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम्।

शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं

ते प्रयान्ति कालभैरवाङ्घ्रिसन्निधिं ध्रुवम्।।

इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं कालभैरवाष्टकं संपूर्णम्।।

भगवान काल भैरव का महामंत्र
भगवान काल भैरव की जयंती के दिन उनके मंत्रों का जप सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. ऐसे में जीवन से जुड़े सभी प्रकार के भय और दु:खों से मुक्ति पाने के लिए कालभैरवाष्टमी पर नीचे दिए गए मंत्रों का पूरी आस्था और विश्वास के साथ जप जरूर करें.

ॐ कालभैरवाय नम:।।

ॐ भयहरणं च भैरव:।।

ॐ भ्रं कालभैरवाय फट्।।

ॐ ह्रीं बं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।।

अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्, भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।

ॐ ह्रीं बं बटुकाय मम आपत्ति उद्धारणाय. कुरु कुरु बटुकाय बं ह्रीं ॐ फट स्वाहा।।

भगवान कालभैरव की आरती
सनातन परंपरा में किसी भी देवी-देवता की पूजा आरती के बगैर अधूरी मानी जाती है, ऐसे में भगवान भैरव की पूजा के बाद उनकी नीचे दी गई आरती को करना बिल्कुल न भूलें.

जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा।

जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।

जय भैरव देवा…।।

तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।

भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।

जय भैरव देवा…।।

वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।

महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयहारी ॥

जय भैरव देवा…।।

तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।

चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।

जय भैरव देवा…।।

तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।

कृपा कीजिये भैरव करिए नहीं देरी।।

जय भैरव देवा…।।

पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।

बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ॥

जय भैरव देवा…।।

बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे।

कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

जय भैरव देवा…।।




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