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पितृ दोष से बचने के लिए करें ये पूजा, जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

मार्गशीर्ष मास में भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा होती है. मान्यता है कि इस माह में पितृ पूजा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ती होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान-दक्षिणा देने से सभी कष्ट दूर होते हैं. 

जिस किसी की कुंडली में पितृ दोष होता है उन्हें अमावस्या का व्रत अवश्य रखना चाहिए. मान्यता है कि इस व्रत से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्रीकृष्ण के अलावा इस माह में माता लक्ष्मी की पूजा भी फलदायक साबित होती है. आइए जानें कब है अगहन मास और क्या है शुभ मुहूर्त.

अमावस्या की तिथि और मुहूर्त
मार्गशीर्ष अमावस्या की तिथि: 23 नवंबर 2022, बुधवार अमावस्या तिथि आरंभ: 23 नवंबर 2022, बुधवार सुबह 06:56 मिनट अमावस्या तिथि समाप्त: 24 नवंबर 2022, गुरुवार, सुबह 04:29 मिनट स्नान का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:56 से लेकर 08:01 मिनट तक

मार्गशीर्ष महीने का महत्व
मार्गशीर्ष या अगहन मास का बहुत धार्मिक महत्व है. मान्यता है कि इस मास के दौरान भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी की पूजा सबसे ज्यादा फलदायक होती है. इस दिन भगवान की पूजा के अलावा पितृरों की भी पूजा की जाती है. 

मार्गशीर्ष महीने में मृत पूर्वजों की पूजा से घर के सभी दोष दूर होते हैं और आपके साथ आपके परिवार को सुख की प्राप्ती होती है. इसके साथ यदि आप किसी पवित्र नदी में स्नान करते हैं तो उससे आप के सभी पाप धुल जाते हैं. इस दिन व्रत रखने और दान-दक्षिणा करने से सुख-समृ्द्ध आती है.

पूजन विधि

इस दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें. इसके बाद साफ लोटे में जल लेकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें. स्नान के बाद बहते हुए जल में तिल प्रवाहित करें और गायत्री मंत्र का जाप करें.
अपने कुल के अनुसार विष्णु भगवान की विधि-विधान से पूजा करें.
नदी के तट पर पितरों के निमित्त तर्पण करें और उनके मोक्ष की कामना करें..
इस दिन व्रत रखने वालो को न तो जल और न ही किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण करना चाहिए.
पूजा के बाद किसी जरुरतमंद व्यक्ति को दान-दक्षिणा दें और ब्राह्मण को भोजन करवाएं.





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