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लोगों को हो रही पानी की किल्लत... भीषण गर्मी में गहराने लगा जल संकट

महासमुंद, जिले में सूर्य की तपिश ने नदी, नाले, कुएं और तलब सुखा दिए है। लिहाजा पानी की समस्या बढ़ गई है। पानी की बढ़ती समस्या की वजह से निस्तरी के कामों में भरी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पानी की कमी और गिरते जल स्तर की वजह से लोक यांत्रिकी विभाग (पीएचई) के सामने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी समस्या खड़ी हो गई है। कई पुराने हैंड पंप सुख गए है। तो वहीं नए खुदे पंपों में पानी ठीक से नहीं आ रहा है।महासमुंद जिले के अंतर्गत सरायपाली, झलप एरिया में पानी की भारी समस्या देखी जा रही है। महासमुंद जिले के कुछ हैंड पंप में फ्लोराइड की मात्रा वजह से पानी पीना योग्य नहीं है। बागबाहरा ब्लॉक में फ्लोराइड की समस्या सबसे ज्यादा है। पीएचई विभाग ने 59 स्थानों पर हैंड पंपों को फ्लोराइड मुक्त कर साफ पानी आम जनता तक पहुंचा रही है।

महासमुंद जिले के अंतर्गत सरायपाली, झलप एरिया में पानी की भारी समस्या देखी जा रही है। महासमुंद जिले के कुछ हैंड पंप में फ्लोराइड की मात्रा वजह से पानी पीना योग्य नहीं है। बागबाहरा ब्लॉक में फ्लोराइड की समस्या सबसे ज्यादा है। पीएचई विभाग ने 59 स्थानों पर हैंड पंपों को फ्लोराइड मुक्त कर साफ पानी आम जनता तक पहुंचा रही है।हम आपको बता दें कि महासमुंद जिले में सार्वजनिक हैंड पंप 7610 है। जिसमें 7351 हैंड पंप चालू है और 43 हैंड पंप में रेपरिंग का काम चल रहा है। वहीं जल जीवन मिशन के तहत 46 प्रक्रिया में हैं। नल जल योजना के तहत 1130 योजना में है। 933 जगहों पर कार्य प्रदान किए जाना है और 870 जगहों पर कार्य प्रगति पर है। आशय यह है कि इस वर्ष बहुतायत स्थानों पर नल जल योजना से आम जनता को पानी नहीं मिल सकेगामहासमुंद जिले में प्रतिवर्ष जल स्तर 8 से10 मीटर मई जून महीने में गिरता है। वहीं, महासमुंद जिले में रबी की फसल बोए जाते है। रबी की फसल के लिए निजी बोरों का उपयोग किया जाता है। जहां सरकारी बोर की खुदाई 2 सौ से 3 सौ फिट खुदाई की जाती है। वहीं, निजी बोर की खुदाई 6 से 7 सौ फिट तक किया जा रहा है। लगातार जिस तरह से जमीन से पानी का दोहन किया जा रहा है और बारिश के पानी को संरक्षित नहीं किया जा रहा है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि महासमुंद जिले में आने वाले सालों में पूरा जिला पानी की बूंद को तरस जाएगा




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